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________________ प्रोसवाल जाति का इतिहास हंसराजी के दूसरे पुत्र मेरूदासजी और तीसरे पुत्र भवानीदासजी हुए । आप लोग चित्तौड़गढ़ के पाटवण पोल नामक स्थान पर मोसल नियुक्त हुए । वहाँ आप लोग आजन्म तक वह काम करते रहे । इस वंश में भाणजी हुए उनके पुत्र शंकरदासमी के वंशज इस समय उदयपर में विद्यमान हैं। जिनमें से मेहता भोपालसिंहजी को राज से जागीर दी गई है। मेहता फतेलालजी .. . मेहता फतेलालजी अपने योग्य पिता के योग्य पुत्र हैं। आपके जीवन के अंतर्गत कई ऐसी विशेषताएं हैं जो प्रत्येक नवयुवक के लिये उत्साह वर्द्धक हैं। आप बाल्यकाल से ही बड़े प्रतिभा सम्पन्न रहे हैं। आपका जन्म संवत् १९२४ की फाल्गुन शुक्ला चतुर्थी को हुआ था। केवल १२ वर्ष की उम्र में आपकी अंग्रेजी योग्यता को देखकर मेवाड़ के तत्कालीन सेटलमेंट अफसर मि० ए० विंगेट साहब मुग्ध हो गये थे और उन्होंने भापको एक अच्छा सर्टिफिकेट दिया था। आपका प्राथमिक शिक्षण बनारस के पं. जगनाथजी झाड़खण्डी के संरक्षण में हुआ था। केवल १३ वर्ष की उम्र में महाराणा साहब ने आपको पैरों में सोना वख्शा। ____आपका साहित्यिक जीवन भी बड़ा उज्वल रहा है। केवल तेरह वर्ष की आयु में आपने उदयपुर में बुद्धि प्रकाशिनी सभा की स्थापना की । जब भारतेंदु बाबू हरिश्चन्द्र उदयपुर पधारे थे, उस समय आप ने उनके स्मारक में हरिश्चन्द्र आर्य विद्यालय की स्थापना की जो अभी तक अच्छी तरह चल रहा है। आपने हिंदी और अंग्रेजी में कुछ पुस्तकें भी लिखी हैं जिनमें सज्जन जीवन चरित्र और Hand Book of Mewar उल्लेखनीय हैं। Hand Book of Mewar के विषय में बहुत से अंग्रेज और देशी विद्वानों ने यहाँ तक कि ज्यूक ऑफ केनॉट, लार्ड डफरन, कार्ड लेन्स डाउन, भारतवर्ष के सेनापनि लाई रास, बम्बई के गवर्नर लाई रे भादि सजनों ने सर्टिफिकिट प्रदान किये हैं। विलायत के कई समाचार पत्रों में इसकी आलोचना की छपी है । श्रीमान ज्यूक ऑफ केनॉट जब उदयपुर पधारे तब आपकी सेवाओं से वे बड़े प्रसबहुए और उसके लिये उन्होंने आपको एक रत्नजटित लॉकेट उपहार में दिया। सन् १८९४ के दिसम्बर मास में आप जब बनारस गये सब काशी नागरी प्रचारिणी के एक विशेष अधिवेशन में आप सभापति बनाये मये। इस सम्मान को आपने बड़ी योग्यता से मिलाया। जव उदयपुर में वॉल्टर हास्पीटल का बुनियादी पत्थर रखने के लिये कार्ड अलि और लेखी स्फरिन भाये तब आपने महाराणा की तरफ से वाइसराय महोदय को अंग्रेजी में भाषण दिया । यहाँ पर यह बतलाना जरूरी है कि यह पहला ही समय था जब मेवाड़ के एक नागरिक ने ऐसे बड़े मौके पर अंग्रेजी
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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