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________________ ओसवाल जाति का इतिहास कर परस्पर मेल करवा दिया तथा वादशाह से दंड लेकर गुजरात तथा मालवा उसे वापस कर दिया गया। इस प्रकार सगर ने अपने जीवन काल में कई वीरत्वपूर्ण कार्य कर दिखाये। सगर के तीन पुत्र हुए। जिनके नाम क्रमशः बोहित्थ, गंगादास और जयसिंह थे। सगर के पश्चात उनके पुत्र बोहित्थ देवलवादा में रहने लगे। आप भी अपने पिता ही के समान शूरवीर, बुद्धिमान एवम् पराक्रमी पुरुष थे। भाप ११०० महावीरों के साथ चित्रकूट नगर (चित्तौड़) में राणा रतनसी के शत्रु के साथ होने वाले युद्ध में. अपूर्व वीरता प्रदर्शित करते हुए काम आये। इनकी मी का नाम बहरंगदे था, जिससे श्रीकरण, जैसो, जयमल, नान्हा, भीमसिंह, पनसिंह, सोमजी और पुष्पपाल नामक आठ पुत्र तथा पना नामकी एक कन्या हुई थी। इनमें से बड़े पुत्र श्रीकर्ण के समधर, वीरदास, हरिदास, उद्धरण नामक चार पुत्र हुए थे। - श्रीकर्ण बड़े शूरवीर थे। इन्होंने अपनी भुजाओं के बल पर मच्छेन्द्रगढ़ को फतह किया था। कहा जाता है कि इसी समय से ये राणा कहलाने लगे। एक समय का प्रसंग है कि बादशाह का खजाना कहीं जा रहा था, उसे राना श्रीकर्ण ने लूट लिया। जब यह समाचार बादशाह के पास पहुंचे तो वह बड़ा क्रोधित हुआ और उसने अपनी सेना मच्छेन्द्रगढ़ पर चढ़ाई करने के लिये भेजी। श्रीकर्ण तथा बादशाह दोनों की सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ। अन्त में अपनी अपूर्व वीरता प्रदर्शित करते हुए श्रीकर्ण इस युद्ध में काम आये। बादशाह का मच्छेन्द्रगढ़ पर अधिकार हो गया। श्रीकर्ण की भाऱ्या रतना दे अपने पति को काम आया जान अपने पुत्र समधर आदि को साथ ले अपने पिहर खेड़ी नगर चली गई। वहां जाकर उसने अपने पुत्रों को खूब विद्याध्ययन करवाया, उन्हें उचित सैनिक शिक्षा दी तथा सब कलाओं में निपुण बना दिया । संवत् १३२३ के आषाढ़ मास के पुण्य नक्षत्र में गुरुवार के दिन खरतरगच्छाचार्य श्रीजिनेश्वरसूरि महाराज खेड़ी नगर पधारे। नगर में प्रवेश करते समय मुनिराज को शुभ शकुन हुआ। यह जानकर सूरिजी ने अपने साथियों से कहा कि “इस नगर में अवश्य जैनधर्म का उद्योत होगा।" चौमासा अति समीप था, अतएव महाराज ने वहीं चौमासा व्यतीत करने का निश्चय किया और वहीं रहने लगे। बोहित्थरा गौत्र की स्थापना एक दिन रात्रि में पद्मावती जिन शासनदेवी ने महाराज से कहा कि कल प्रातःकाल बोहित्थ के *अनुमान है कि यह स्थान वर्तमान अलवर स्टेट के अन्तरगत माचेड़ी नामक स्थान हो। +भनुमान है कि यह स्थान गुजरात प्रांत के अन्दर इर के पास खेड़ाब्रह्मा नामक स्थान हो।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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