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________________ तेरापंथी आचार्य कल्याण के लिये अपने पुत्र को जैनधर्म के बाईस संप्रदाय में दीक्षित होने की सम्मति प्रदान कर दी। इस भाज्ञानुसार संवत् १८०० में भाप महाराजा रघुनाथजी द्वारा जैन साधु दीक्षित किये गये। इसके पश्चात् माठ बरस तक लगातार गुरु की सेवा में रहते हुए भापको अनुभव हुमा कि जिस मार्ग का अवलम्बन कर गुरुदेव कालयापन कर रहे हैं यह ठीक नहीं। अतएव इसी समय से मापने अपने नवीन सिद्धान्तों द्वारा एक अलग संप्रदाय की नींव डाली। यह समय सम्बत् ....की आषाद सुदी १५ का था। आपका स्वर्गवास सम्वत् १८६० की भाद्रपद शुक्ला ११ को ७ वर्ष की अवस्था में मारवाद राज्य के सिरियारी नामक ग्राम में हुआ। आपने अपने समय में १९ साधु और ५६ साध्वियों को अपने धर्म में दीक्षित किया था। इस समय आपके कई ग्रहस्थ लोग भी अनुयायी हो गये थे। भाप इस संप्रदाय के एक विशेष आचार्षे थे। श्री स्वामी मारीमखत्री स्वामी मिक्खनजी के स्वर्गारोहण हो जाने के पश्चात् भाप पाटधारी आचार्य हुए। मेवाड़ राज्य केलवा नामक स्थान पर आपका दीक्षा संस्कार हुआ। आपके पिताजी का नाम श्रीकृष्णामलजी होदा था । सिरिवारी नामक ग्राम में आपका पाट महोत्सव हुभा। आपने अपने समय में ३८ साधु और ४४ सानियों को दीक्षित किया। मापकी प्राकृति गम्भीर और शान्त थी। आपका स्वर्गवास संवत् १८७४ की माघ कृष्णा को मेवाड़ के राजनगर नामक ग्राम में .५ वर्ष की आयु में हुआ। श्री स्वामी रायचन्दजी-तीसरे भाचार्य स्वामी रायचन्दजी हुए। आपका जन्म रावलिया (मेवाद) में हुआ। आपके पिता चर्तुभुजजी बम्ब थे। रावलिया ही में आपका दीक्षा संस्कार हुभा, एवम् राजनगर में भापका पाट महोत्सव हुआ। आपने अपने समय में ७७ साधु और १६८ साध्वियों को दीक्षित किया था। आपके जन्म स्थान ही में सम्वत् १९०८ की माघ कृष्णा १४ को ६२ वर्ष की आयु में मापका स्वर्गवास हुभा। श्री स्वामी जतिमलजी-चौथे आचार्य स्वामी जीतमलजी का जन्म सम्वत् रोहत (मारवाड़) नामक स्थान में हुआ। आपके पिताजी का नाम श्री आईदानजी गोलेछा था । आपका दीक्षा संस्कार जयपुर में तथा पाट महोत्सव बीदासर में हुभा। आप अच्छे विद्वान तथा प्रतिभाशाली भाचार्य थे। भापने 'शुभ विध्वंसनम्' भादि बहुत से ग्रंथों की रचना की। आपने अपने जीवन में १०५ साधु और २२४ सावियाँ बनाई। आपका स्वर्गवास सम्बत् ११३८ के भादवा कृष्ण १२ को जयपुर में ८ वर्ष की आयु में हो गया है। स्वामी मघराजजी-आप इस संप्रदाय के पाँचवे आचार्य थे। आपका जन्म चैत्र शुक्ला सम्वत् १८९७ में बीदासर (बीकानेर) में हुआ । भापके पिता श्री पूरनमलजी बैंगानी थे। आपकी दीक्षा लाइन में हुई थी एवम् जयपुर में आप आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए। आपने अपने समय में ३६ साधु और ८३ साध्वियों को दीक्षित किया। आपका स्वर्गवास सम्बत् १९४९ की चैत्र कृष्णा ५ को ५३ वर्ष की भायु में सरदारशहर में हुआ। श्री स्वामी मानिकलालजी-स्वामी मानिकलालजी महाराज का जन्म श्री हुकुमचन्दजी खारद (श्रीमाल) के यहाँ जयपुर में सम्वत् १९१२ की भाद्रपद कृष्णा . को हुआ। लाडनू में भाप दीक्षित हुए, एवम् सरदारशहर में भाप भाचार्य बनाए गये। मापने साधु और २३ साध्वियों को
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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