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________________ जिन 'आचार्यों ने ओसवाल जाति के सामाजिक, धार्मिक, कौटुम्बिक और राजनैतिक जीवन पर प्रभाव डाला, उनका थोड़ा सा परिचय देना भी आवश्यक प्रतीत होता है। इनमें से कई आचार्य स्वयं ओसवाल जाति के थे और उन्होंने जैन संस्कृति के विकास में बहुमूल्य सहायता पहुँचाई थी। इसके विपरीत कई आचार्य्यं यद्यपि दूसरी जातियों के थे पर भ्रमका इस जाति के साथ इतना निकट सम्बन्ध था कि उसके जीवन के विविध पहलुवों पर इन आचायों ने बहुत ही गम्भीर संस्कार डाले थे । हम पहिले कह चुके हैं कि ओसवाल जाति की उत्पत्ति आठवीं तथा नवमी सदी के बीच (८०० से ९०० तक) किसी समय में हुई है; अतएव हम उसी समय से अब तक के खास २ ऐसे आचायों की जीवनी पर और उनके कार्यों पर प्रकाश डालना आवश्यक समझते हैं, जिन्होंने इस जाति के जीवन को बनाने में सबसे अधिक परिश्रम किया था । श्री भट्ट सू प्रतिबोध देकर उन्हें भगवान महावीर के गवालियर की प्रशस्ति के अनुसार इन्होंने इस सम्बन्ध में सबसे पहिले श्री बध्यमट्टिसूरि का नाम उल्लेखनीय है । आप का जन्म विक्रम संवत् ८०० की भादवा सुदी ३ को हुआ था, अर्थात् जिस समय ओसवाल जाति की उत्पत्ति हुई थी उसी समय इस महान् आचार्य्यं का उदय हुआ था । ये महान् विद्वान् तथा प्रतापी आचार्य थे। दीर्घ तपश्चर्या के द्वारा इन्होंने अपनी आत्मिक शक्तियों का उच्च विकास किया था। इन्होंने कन्नोज के राजा आम को पवित्र झण्डे के नीचे बैठाया था। ये आम राजा बड़े प्रतापी थे । अनेक देशों पर अपनी विजय पताका फहराई थी, इन्होंने कन्नोज १८ मन सोने की भगवान महावीर की प्रतिमा बनवाकर अपने आचार्य बप्पभट्ट के द्वारा उसकी प्रतिष्ठा करवाई थी । इन्होंने गोपगिरी ( गवालियर ) में भी २३ हाथ ऊँची महावीर की प्रतिमा स्थापित की थी। इन महान् आचार्य महोदय मे गौंड ( बङ्गाल ) देश की राजधानी लक्षणावती के राजा धर्म को महान् उपदेश देकर उसके तथा आम राजा के बीच के बैर-भाव को दूर किया और उनके आपस में मैत्री का मधुर सम्बन्ध स्थापित किया। इतना ही नहीं, श्रीबप्पभट्टसूरि ने बर्द्धन कुंजर नामक एक विख्यात् बौद्ध पण्डित को जीत कर सारे देश में अपने प्रभाव की छाप डाली। इससे उक्त गौड़ाधिपति धर्मराज ने आपको १९५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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