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________________ धार्मिक क्षेत्र में श्रोसवाल-माति ११६५ की ज्येष्ठ बदी ७ सोमवार की मिती दी गई है। शायद यह मिती मंदिर के नीव डलवाने के समय की हो। छ: से १० श्लोक तक गुजरात के राज्यकर्त्ता चौलुक्य (चालुक्य ) वंश के आखिरी राजाओं की वंशावली दी गई है जो इतिहास में बघेल वंश के नाम से प्रसिद्ध है। इसके बाद अर्णेराज और उनके वंशजों का उल्लेख है।" ___ खम्भात नगर में इस प्रकार के और भी जैन मंदिर हैं और उनमें शिलालेख भी हैं। लेकिन उनका विशेष ऐतिहासिक महत्व न होने से यहां पर उन्हें हम देना ठीक नहीं समझते । क्षत्रिय कुंड लछवाड़ ग्राम से : कोस दक्षिण पर एक छोटे से ग्राम में यह स्थान है। श्वेताम्बर सम्प्रदाय वाले अपने चौबीसवें तीर्थकर श्री महावीर स्वामी का व्यवन, जन्म तथा दीक्षा ये तीन कल्याणक इसी स्थान पर मानते हैं। वहाँ के लोग इसे " जन्मस्थान" कह कर पुकारते हैं। पहाड़ की तलहटी में २ छोटे मंदिर हैं, उनमें श्री वीरप्रभू की श्यामवर्ण की पाषाण की मूर्तियाँ हैं। पहाड़ पर के मंदिर में भी श्याम पाषाण की मूर्तियाँ हैं। मंदिर के पास ही एक प्राचीन कुंड का चिन्ह वर्तमान है। इसकी पंचतीर्थी पर एक लेख संवत् १५५३ की महा सुदी ५ का खुदा हुआ है जिसमें बारलेचा गौत्र के किसी ओसवाल सज्जन द्वारा कुंथुनाथ का विम्ब स्थापित किये जाने का उल्लेख है। अयोध्या के जैनमंदिर यह अत्यंत प्राचीन नगरी है। जैन शास्त्रों में इसके महत्व का जहाँ तहाँ वर्णन किया गया है। जैनियों के प्रथम तीर्थङ्कर श्री ऋषभदेवजी के व्यवन, जन्म और दीक्षा ये तीन कल्याणक यहाँ हुए। दूसरे तीर्थङ्कर श्री अजितनाथजी, चतुर्थ तीर्थकर श्री अभिनंदनजी, पाँचवें तीर्थकर श्री सुमतिनाथजी तथा चौदहवें तीर्थकर श्री अनन्तनाथजी के च्यवन जन्म दीक्षा और केवल-ज्ञान ये चार कल्याणक इसी नगरी में हुए थे। श्री महावीर स्वामी के नवें गणधर श्री अचल भ्राता इसी अयोध्या नगरी के रहने वाले थे। रघुकुल तिलक श्री रामचन्द्रजी तथा लक्ष्मणजी इसी नगरी के राजा थे। इस नगरी में श्री अजितनाथजी के मंदिर की पाषाण मूर्तियों पर कई लेख खुदे हुए हैं। उनमें बहुत से तो नवीन हैं, और कुछ पंद्रहवीं सोलहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी के हैं। पंचतीर्थियों पर खुदा हुआ लेख संवत् १४९५ की मार्ग बदी ४ गुरुवार का है। इससे यह ज्ञात होता है कि ओसवालजाति के सुचिंती
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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