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________________ सोसवाल जाति का इतिहास गाँधाणी का प्राचीन जैनमंदिर - गाँधाणी ग्राम जोधपुर से उत्तर दिशा में ९ कोस पर, वहाँ के तालाब पर एक प्राचीन जैन मंदिर है, उक्त मंदिर में एक सर्व धातु की श्री आदिनाथ भगवान की मूर्ति है, जिसके पृष्ठभाग पर एक लेख खुदा हुआ है। उक्त लेख का संवत् ९३० आषाढ़ मास है। इसमें उद्योतनसूरि का उल्लेख भाया है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने उक्त संवत् में आचार्य पद को प्राप्त किया । पट्टावली में इन सूरिजी के स्वर्गवास का संवत् ९९४ मिलता है। इस लेख में किसी गच्छ विशेष का उल्लेख नहीं है, इससे यह पाया जाता है कि विकृम की दसवीं सदी में किसी प्रकार का गच्छ भेद नहीं था। ऐतिहा. सिक दृष्टि से उक्त लेख बड़े महत्व का है। चित्तौड़ की श्रृंगार चावड़ी राजस्थान के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल चित्तौड़ के किले में अंगार चावड़ी नामक एक जैन मंदिर है। चित्तौड़ के किले में जो प्रसिद्ध स्थान है उनमें इसकी गणना है। महामति टॉड से लगाकर आज. तक जिन २ पुरातत्व वेत्ताओं ने इस किले का वर्णन किया है, उनमें इस मंदिर का भी उल्लेख है। आयलॉजिकल सर्वे ऑफ वेस्टर्न सर्कल के सुपरिन्टेन्डेन्ट मि० हेवर कॉउसेन्स अपनी ईसवी सन् १९०४ की प्रोग्रेस रिपोर्ट में इस मन्दिर के विषय में लिखते हैं। "श्रृंगार चावड़ी नाम का एक पश्चिमाभिमुख जैन देवालय है। उसके फर्श के मध्य भाग में एक ऊँचा चौरस चौतरा बना हुआ है, और उसके चारों कोनों में चार खम्भे हैं। ये खम्भे ऊपर के गुम्मज को सम्भाले हुए हैं। इसके नीचे चौमुख प्रतिमा विराजमान है । महामति टॉड साहब को इसी मदिर में एक लेख मिला था जिसमें लिखा था कि राणा कुम्म के जैन खाँ ने इस मन्दिर को बनवाया था।" यह जैन मंदिर ई० सन् १५० के लगभग का मालूम होता है ।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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