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________________ श्रीनाडलाई तीर्थ मारवाड़ के गोड़वाड़ प्रान्त के देसूरी जिले में यह गांव अवस्थित है। ऐतिहासिक दृष्टि से इसका बड़ा महत्व है। गोड़वाड़ प्रान्त के प्रमुख जैन तीर्थों में से यह एक है। इस गाँव में " जैन मंदिर हैं। इसमें से ९ गाँव में तथा २ पास के पर्वत पर हैं। इन पर्वतों को लोग शत्रुक्षय और गिरनार के नाम से पहचानते हैं। ___ इस ग्राम में बहुत से जैन लेख मिले हैं, उन शिलालेखों में इस गाँव को नन्दकुलवती, नडहुलाई, नडडूल डानिगा आदि नामों से सम्बोधन किया गया है। ऐतहासिक राससंग्रह के दूसरे भाग में इसे वल्लभपुर नाम से भी पुकारा गया है। इस ग्राम में भगवान आदिनाथ का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में पत्थर पर खुदे हुए कई लेख हैं, एक लेख संवत् ११८६ की माघ सुदी ५ का है इसमें चहामान (चौहान) वंश के महाराजा. धिराज रायपाल के पुत्र रुद्रपाल तथा अश्वपाल तथा उनकी माता मानल देवी द्वारा मंदिर में चढ़ाई गई भेंट का उल्लेख है। इसके अलावा समस्त ग्रामीणों के सर पंच भण्डारी मागसीजी; लक्ष्मणसी आदि भोसवालों का उल्लेख है। उक्त आदिनाथ मंदिर के रंग मंडप के बाएँ बाजू की दीवार पर एक और लेख खुदा हुआ है। उक्त लेख में मेवाड़ के राजाओं की वंशावली दी गई है। यह वंशावली विशेष विश्वसनीय होने के कारण कई इतिहास वेत्ताओं ने अपनी पुस्तकों तथा रिपोर्टों में इसका उल्लेख किया है । इसके बाद इस लेख में उकेश वंश (ओसवाल जाति ) के भण्डारी गौत्रीय सायर सेठ के वंश में शंकर आदि पुरुषों द्वारा श्रीआदिनाथ की प्रतिमा की स्थापना करने का उल्लेख है। यह लेख संवत् ११७४ का है इसी प्रकार संवत् १२०० की कार्तिक वदी • का दूसरा लेख है। इस लेख में जो कुछ लिखा है, उसका आशय यह है - "महाराजाधिराज रायपालदेव के राज्य में उनके दीवान ठाकुर राजदेव के समक्ष नाडलाई के समस्त महाजनों ने (ओसवालों) मिलकर इस मंदिर के लिये घी, तेल, नमक, धान्य, कपास, लोहा, शक्कर, हींग, मंजीठ भादि चीज़ों को भेंट करने का निश्चय किया। कहने का अर्थ यह है कि नाडलाई तीर्थ स्थान में भी भओसवाल दानवीरों के धार्मिक कार्यों के स्थान पर उल्लेख पाये जाते हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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