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________________ राजनैतिक और सैनिक महत्व आप कौंसिल के मेम्बर हो गये । संवत् १९५७ में इन्दौर में आपका स्वर्गवास हो गया। जिस समय आपके स्वर्गवास का समाचार भानपुरा पहुँचा उस समय चारों ओर भानपुर परगने में हाहाकार सा मच गया। इन पंक्तियों का लेखक उस समय भानपुर में था । उसने उस समय भानपुर में जो शोक की घोर घटा देखी वह उसे सदा स्मरण रहेगी। इसका कारण है । जो व्यक्ति सैकड़ों हजारों आदमियों के सुख दुखों में साथ देता है, लोग भी उसे अपने पिता की तरह प्रेम और भक्ति भाव से देखने लगते हैं। कोठारी सावन्तरामजी रामपुर भानपुर परगने के एक विशेष पुरुष थे। वे लोगों से प्रेम करते थे और लोग उनसे प्रेम करते थे । अब राजसी ठाठ के साथ उनकी सवारी निकलती थी तब सैंकड़ों लोग उनका अभिवादन करने में गौरव अनुभव करते थे । अगर तत्कालीन प्रचलित लोकोक्ति पर विश्वास किया जाय तो कहना होगा कि किसानों के हित रक्षा का समर्थन करने के कारण ही आपको भानपुर से इन्दौर जाना पड़ा था । कहने का अर्थ यह है कि ओसवाल समाज में इन्दौर के कोठारी गंगारामजी, कोठारी शिवचन्दजी और कोठारी सावंतरामजी अपना खास स्थान रखते हैं। राय बहादुर सिरेमलजी बापना गत पृष्ठों में हम ओसवाल समाज के ऐसे कई ऐतिहासिक महानुभावों का परिचय दे चुके हैं जिन्होंने अपने २ समय में राजनैतिक और सैनिक क्षेत्रों में अपनी अपूर्व प्रतिभा का परिचय देकर राजस्थान के इतिहास को गौरवान्वित किया है । हम देखते हैं कि आज भी इस समाज में कुछ ऐसे सज्जन मौजूद हैं जिन्होंने जपनी दूरदर्शितापूर्ण ( Far sighted statesmanship) राजनैतिक प्रतिभा के कारण भारत के शासकों (Administrators ) में उच्च स्थान प्राप्त कर लिया है। इनमें सब से प्रथम उदाहरण इन्दौर राज्य के सफल प्राइममिनिस्टर राय बहादुर सिरेमलजी बापना सी० आई० ई० का दिया जाने योग्य है । वर्त्तमान ओसवाल समाज में इस समय सब से अधिक उच्च पद पर आपही हैं। जिस समय आपने इन्दौर राज्य के शासन की बागडोर सम्हाली थी वह समय इन्दौर राज्य के इतिहास में अत्यंत जटिलता मय और कठिन समस्याओं से परिपूर्ण था । ऐसे समय में आपने इन्दौर राज्य के शासन को जिस अपूर्व नीतिज्ञता के साथ संचालित किया, वह आपके सफल शासक होने का उवलंत प्रमाण है। जिन लोगों ने देशी राज्यों की आंतरिक परिस्थिति का सूक्ष्म दृष्टि से अवलोकन किया है। वे उनमें होने वाले राजनैतिक कुचक्रों और फिरकेवन्दियों से भली प्रकार परिचित होंगे। मैं इनका और भी प्राबल्य रहता है। ऐसी नाजुक परिस्थिति में इन सब षड्यंत्रों से ऊपर हृदय से प्रजा हित की ओर बढ़ते चले जाने ही में उच्च श्रेणी की राजनीतिज्ञता रहती है । महोदय एक विशाल हृदय के मुत्सद्दी हैं । उनका दृष्टि बिन्दु बहुत व्यापक और दूरदर्शितापूर्ण है । नाबालिगी शासन रह कर विशुद्ध श्रीमान बापना ११९
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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