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________________ सिंघी-बावे एक पुत्र हैं। भीखनचन्दजी के पुत्र जयचन्दलालजी और चम्पालालजी हैं। तथा जयचन्दलालजी पुत्र शुभकरनजी और मालचन्दजी के पुत्र मदनचन्दजी हैं। आप लोगों का व्यापार कलकत्ता में ३९ ऑर्मेनियनस्ट्रीट होता है। इसी स्थान पर "गुलाबचन्द सिंघी" के नाम से विलायत से तथा उपरोक्त नाम से जापान से डायरेक्ट कपड़े का इम्पोर्ट व्यापार होता है। इसके अतिरिक्त "जयचन्दलाल रामलाल" के नाम से मनोहरदास कटला में स्वदेशी कपड़े का व्यापार होता है। आपका परिवार तेरापंथी संप्रदाय का अनुयायी है । लाला फग्गूमल भगवानदास बावेल, अमृतसर यह परिवार लगभग १५० वर्ष पूर्व मारवाड़ से आकर अमृतसर में आबाद हुआ। पह कुटुम्ब श्वेताम्बर जैन स्थान कवासी सम्प्रदाय का मानने वाला है। इस परिवार के पूर्वज लाला धनपतराव जी के पुत्र लाला मुकुन्दामलजी और नंदामलजी हुए। लाला मुकुन्दामलजी बसाती का व्यापार करते थे, तथा बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के पुरुष थे। संवत् १९६१ में ७० साल की आयु में आप स्वर्गवासी हुए । आपके लाला कसूरियामलजी और लाला फग्गूमलजी नामक २ पुत्र हुए। लाला नंदामलजी भी प्रतिष्ठित व्यक्ति हो गये हैं। संवत् १९५९ में आप निसंतान स्वर्गवासी हुए। लाला कसूरियामलजी सन् १९१२ में स्वर्गवासी हुए। इनके पुत्र लाला दीनानाथजी तथा लाला अमरनाथजी का भी स्वर्गवास हो गया है। लाला फग्गूमलजी-आपका जन्म संवत् १९९७ में हुआ। आप वयो वृद्ध और धार्मिक पुरुष हैं। आप उन भाग्यवानों में हैं, जो अपनी चौथी पीढ़ी को अपने सम्मुख देख रहे हैं। आप के पुत्र लाला भगवानदासजी तथा लाला जंगीमलजी हए । लाला भगवानदासजी-आपका जन्म संवत् १९४० में हुआ। आप अमृतसर के ओसवाल समाज में अच्छे प्रतिष्ठित सजन हैं। दान धर्म के कामों में भी आप अच्छा सहयोग लेते हैं । इस समय भाप एस. एस. जैन सभा अमृतसर के खजांची हैं। आपके पुत्र लाला पालालजी, विलायतीरामजी तथा विजयकुमारजी हैं। आपकी कन्या श्रीमती शांतिदेवी ने गत वर्ष "हिंदीरत्र" की परीक्षा पास की है। लाला पन्नालालजी का जन्म १९६१ में हुआ । माप व्यापारकुशल तथा उत्साही युवक हैं । आपके हाथों से म्यापार की बहुत उन्नति हुई है। धार्मिक कामों में भापकी अच्छी रुचि है। पूज्य सोहनलालजी महाराज के नाम से स्थापित जैन कन्या पाठशाला के भाप सभापति हैं। भापके पुत्र श्री राजकुमारजी पढ़ते हैं। लाला विलायतीरामजी भी व्यापार में भाग लेते हैं तथा इनसे छोटे विजयकुमारजी पढ़ रहे हैं। ___इस परिवार का अमृतसर में ४ दुकानों पर बीड्स, हॉयजरी, मनिहारी और जनरल मर्चेटाइज का थोक व्यापार होता है। "बी० पी०बावेल एण्ड संस" के नाम से विलायती तथा जापानी माल का डायरेक्ट इम्पोर्ट होता है। इसके अतिरिक्त हाल ही में इस परिवार ने “पी० विजय एण्ड कम्पनी" के माम से भोसाका (जापान ) में अपना एक ऑफिस कायम किया है, इस पर इम्पोर्ट तथा एक्सपोर्ट विजिनेस होता है। यह खानदान अमृतसर के ओसवाल समाज में नामांकित माना जाता है। सिंघी (बावेल) हेमराजजी का खानदान, उत्तराण और खेडगांव (खानदेश) इस परिवार का मूल निवासस्थान भगवानपुरा (मेवाड़) है। वहाँ से सिंघी हेमराजजी के छोटे
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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