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________________ ओसवाल जाति का इतिहास भापके पुत्र चन्दनसिंहजो फौजदारी सरिश्तेदार हैं, एवं फतेसिंहजी ने इंजनियरिंग परीक्षा पास की है। आप दोनों सज्जन व्यक्ति हैं। चन्दनसिंहजी के पुत्र प्रतापसिंहजी पढ़ते हैं। सिंघी इन्द्रमानुजी का परिवार-आपके बदनमलजी तथा बाघमलजी नामक २ पुत्र हुए। सिंधी बाघमलजी इस परिवार में बहुत प्रतापी पुरुष हुए । आपका जन्म सम्बत् १८४३ में हुआ था । आपने महाराजा जगतसिंहजी के बाल्यकाल में सम्बत् १८९७ से १९०४ तक कामदारी का काम बड़ी होशियारी और ईमानदारी से किया। आपके लिये कर्नल डिक्सन ने लिखा था, जिसका आशय यह है कि सब रैयत राज के कामदारे से खुश और राजी है। इलाके का बन्दोबस्त दरुस्त और खालसे के गाँव आवाद हैं।.........ता० १७ फरवरी सन् १८४६ ई०। आगरा के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने आपके लिये लिखा कि ......"सिंघी बागमल की कामदारी से राज्य बहुत आवाद हुआ" ता० १८ अगस्त सन् १८४५ ई.। उदयपुर के महाराणा स्वरूपसिंहजी ने सिंघी बाघमलजी को एक रुक्के में लिखा था कि......राजाधिराज होश संभाले, जब तक इसी श्याम धर्मो से बन्दगी करना"......संवत् १९०२ मगसर सुदी १५। आपने परिश्रम करके शाहपुरा स्टेट की खिराज 10 हजार करवाई। आपको उदयपुर महाराणा तथा शाहपुरा दरबार ने खिल्लत भेंट कर सम्मानित किया। आपने अपनी बहुत सी स्थाई सम्पत्ति व्यावर में बनाई। पुष्कर की घाटी में भी आपने अच्छी इमदाद दी थी। आपने बूबल बाड़ी के मीणों पर राणाजी की ओर से फौज लेकर चढ़ाई की, और उनका उपद्रव शांत किया। आपको “बांगूदार” नामक एक गाँव भी जागीर में मिला था । आपने शाहपुरा में रिखबदेव स्वामी का मन्दिर बनवाया। इस प्रकार प्रतिष्ठा मय जीवन बिता कर सं० १९०५ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र केसरीसिंहजी २२ साल उम्र में सं० १९२१ में स्वर्गवासी हुए। इनके पुत्र सिंघी कृष्णसिंहजी हुए सिंघी कृष्णसिंहजी का जन्म संवत् १९१६ में हुआ। आपको पठन पाठन का बहुत शौक था। संवत् १९५६ के अकाल में आपने शाहपुरा की गरीब जनता की अच्छी सहायता की थी। संवत् १९६० में भापने अपना निवास गोवर्द्धन में भी बनवाया। यहाँ आपनं एक अच्छी धर्मशाला बनवाई। एवं मथुरा जिले के २ ग्राम एवं १ लाख ४० हजार रुपयों के प्रामिज़री नोट धर्मार्थ दिये, इनकी आय से, औषधालय, अनाथालय, सदावृत, विधवाओं की सहायता और छात्रवृत्तियाँ दिये जाने की व्यवस्था की तथा इसका प्रबन्ध एक ट्रस्ट के जिम्मे कर उसकी सुपरवीझन लोकल गवर्नमेंट के जिम्मे की। आपने शाहपुरा में रघुमाथजी का मन्दिर बनाया । संवत् १९७९ में आप स्वर्गवासी हुए । आपके पुत्र फतेसिंहजी बाल्यावस्था में ही गुजर गये थे । इनके नाम पर २० हजार की रकम का "साधु और जाति सेवा" के अर्थ प्राइवेट ट्रस्टकिया गया । कृष्णसिंहजी के यहाँ सजनसिंहजी बड़ी सादड़ी से दस साल की आयु में संवत् १९५८ में दत्तक आये सिंघी सजनसिंहजी शाहपुरा तथा गोवर्द्धन के प्रतिष्ठित सज्जन हैं। आप गोवर्धन में डिस्ट्रक्ट बोर्ड के मेम्बर, लोकल बोर्ड के चैयरमैन और डिस्ट्रीक्ट एडवायजरी एक्साइज कमेटी के मैम्बर हैं। अपने पिताजी द्वारा स्थापित धार्मिक व सहायता के कार्यों को आप भली प्रकार संचालित करते हैं। आप वैष्णब मतानुयायी हैं । शाहपुरा की गोशाला के स्थापन में आपने परिश्रम उठाया है। इसी साल आपने भोसवाल सम्मेलन अजमेर के सभापति का आसन सुशोभित किया था। आप गोवरन के आनरेरी ६६०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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