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________________ सुराणा सेठ रतनचंद जवरीमल सुराना, पड़िहारा इस खानदान के लोगों का मूल निवास स्थान नागौर (मारवाद) का था मगर बहुत वर्षों से इस परिवार के सेठ मलूकचन्दजी पड़िहारा में भाकर बस गये थे। तभी से आपके वंशज वहीं पर निवास कर रहे हैं। आप खेती बगैरह का काम करते थे। आपके पुत्र रतनचन्दजी सबसे पहले देश से बंगाल आये और माहीगंज में अपनी फर्म स्थापित की। भाप बड़े सज्जन तथा कुशल व्यापारी थे। आपके हरकचन्दजी तथा भेरोंदानजी नामक दो पुत्र हुए। आप दोनों भाई भी देश से व्यापार निमित्त कलकत्ता आये और सबसे प्रथम सदाराम पूरनचंद भण्साली की कलकत्ता फर्म पर सर्विस की। इसके पश्चात् आपने सरदार शहर निवासी. सेठ चुनीलाल जी बोथरा के सझे में मेसर्स चुनीलाल भेरोंदान के नाम से फर्म खोली । इस फर्म को कुष्टे के व्यवसाय में अच्छा लाभ रहा। संवत् १९८८ तक इस फर्म पर आपका साझा रहा । तदनन्तर आप लोगों का पार्ट मला अलग होगया। जिस समय उक्त फर्म साझे में चल रही थी उस समय इस खानदान की सं० १९८१ में रतनचन्द जवरीमल के नाम से कलकत्ता में एक स्वतन्त्र फर्म खोली गई थी। वर्तमान में आप लोग इसी नाम से स्वतन्त्र व्यापार करते हैं । सेठ भेरोंदानजी बड़े मामी, मिलनसार तथा प्रतिष्ठित सज्जन थे। आपका संवत् १९८८ में स्वर्गवास हुआ। सेठ हरकचन्दजी विद्यमान हैं । आपके धनराजजी नामक एक पुत्र हैं। सेठ भेरोंदानजी के भंवरलालजी, जवरीलालजी तथा पन्नालालजी नामक तीन पुत्र हैं। इनमें से प्रथम दो भली प्रकार व्यापार संचालन करते हैं। तीसरे अभी पढ़ रहे हैं। आप लोग जैन तेरापन्थी सम्प्रदाय के मानने वाले सज्जन हैं। इस खानदान की कलकत्ता, भालमनगर (रंगपुर), रहिया, शिव गंज, काली बाजार आदि स्थानों पर फर्मे हैं जिन पर जूट का काम होता है। पढ़िहारे में यह खानदान प्रतिष्ठित माना जाता है। सेठ बच्छराज कन्हैयालाल सुराणा, बागलकोट यह परिवार पी ( मारवाद ) का निवासी स्थानकवासी जैन समाज का मानने वाला है। इस परिवार के पूर्वज सेठ नथमलजी सुराणा लगभग संवत् १९३० में स्वर्गवासी हुए। सेठ बच्छराजजी सुराणा-सेठ नथमलजी के पुत्र वष्छराजजी सुराणा का जन्म संवत् १९२९ में हआ। १३ साल की वय में आप बागलकोट आये, तथा यहाँ सर्विस की। संवत् १९५५ में आपने भागीदारी में रेशम का व्यापार आरम्भ किया। एवम् १९७० में आपने अपनी स्वतन्त्र दुकान की। आपके हाथों से व्यापार और सम्मान की उन्नति हुई। इस समय आप बागलकोट के ५ सालों से आनरेरी मजिस्ट्रेट एवं २ सालों से म्युनिसिपल कौंसिलर हैं तथा वहाँ के ओसवाल समाज में नामांकित व्यक्ति हैं। धार्मिक कार्यों की ओर आपकी अच्छी रुचि है। आपके पुत्र कन्हैयालालजी का जन्म सम्वत् १९७० में हुआ। आप उत्साही युवक हैं, तथा व्यापार में भाग लेते हैं। आपके यहाँ बागलकोट तथा गुलेजगुड में "बच्छराज कन्हैयालाल" के नाम से रेशमी सूत, खण तथा रेशमी वसों का व्यापार होता है। गुलेज गुड में आपकी शाखा २५ सालों से है। इसी तरह बागलकोट और बीजापुर में “कन्हैयालाल सुराणा" के नाम से आदत व गल्लाका ब्यापार होता है। इन सब स्थानों पर भापकी दुकान प्रतिष्ठा सम्पन मानी जाती है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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