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________________ मोसवाल जाति का इतिहास एक धर्मशाला बनवाई। अहमदनगर में आपकी फर्म सबसे पुरानी मानी जाती है। आप ६५ सालकी आयु में, संवत् १९७८ में स्वर्गवासी हुए। आपके समरथमलजी, कनकमलजी, सिरेमलजी, हस्तीमलजी तथा अमोलकचन्दजी नामक ५ पुत्र हुए। आप सब भाइयों का भी धरम ध्यान की ओर अच्छा लक्ष्य था। इनमें सेठ हस्तीमलजी को छोड़कर शेष चार म्राता निःसंतान स्वर्गवासी हो गये हैं। हस्तीमलजी का जन्म संवत् १९४८ में हुआ। आप अहमदनगर के प्रतिष्ठित सज्जन है। आपके पुत्र बाबूलाल ४ साल के हैं। फलोदिया सेठ फतेचन्द मांगीलाल फलोदिया, अहमदनगर इस परिवार का मूल निवास सेठों की संया (मारवाड़) है। वहाँ से सेठ खुशालचन्दजी फलोदिया अपने पुत्र गुमानचन्दजी तथा मोहकमदासजी के साथ लगभग २०० साल पूर्व अहमदनगर जिले के साकूर नामक गाँव में गये । और वहाँ अपनी दुकान खोलो । सेठ गुमानचन्दजी के इन्द्रभानजी, तथा मुलतानमलजी नामक २ पुत्र हुए। इन्द्रमानजी फलोदिया का परिवार-सेठ इन्द्रभानजी का सम्बत् १९२७ में स्वर्गवास हुआ। आपके हजारीमलजी, भवानीदासजी तथा गुलाबचन्दजी नामक ३ पुत्र हुए। फलोदिया भवानीदासजी के नवलमलजी तथा हरकचन्दजी मामक २ पुत्र हुए। इनमें हरकचन्दजी, सेठ गुलाबचन्दजी के नाम पर दत्तक गये। इस समय इस परिवार में हजारीमलजी के पुत्र किशनदासजी तथा सूरजमलजी साकूर में व्यापार करते हैं। और हरकचन्दजी के पुत्र चुन्नीलालजी वरोरा (सी०पी०) में सूत का व्यापार करते हैं। मुलतानमलजी फलोदिया का परिवार-आपका सम्बत् १९४२ में स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र पूनमचन्दजी लगभग ७० साल पहले साकर से अमरावती आये। तथा "मानमल गुलाबचन्द" के सा कपड़े का व्यापार शुरू किया। आप सम्बत् १९५० में स्वर्गवासी हए। आपके शोभचन्दजी. फतेचन्दजी तथा माँगीलालजी नामक ३ पुत्र हुए। इनमें शोभाचन्दजी सम्वत् १९६२ में स्वर्गवासी हुए । फतेचन्दजी फलोदिया-आपका जन्म सम्वत् १९३७ में हुआ। आप अमरावती के व्यापारिक समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं । सार्वजनिक तथा धार्मिक कामों में आप अच्छा सहयोग लेते हैं। आपने लगभग ५० हजार की लागत से अमरावती के एक जैन मन्दिर बनवाकर सम्बत् १९८० में उसकी प्रतिष्ठा कराई। आपके यहाँ “ फतेचन्द माँगीलाल" के नाम से कपड़े का व्यापार होता है। आपके पुत्र मोहनलालजी २० साल के हैं। धूपिया सेठ हजारीमल विशनदास (धूपिया) का खानदान, अहमदनगर इस खानदान का मूल निवास स्थान रणसी गाँव (पीपाद) का है। आप श्वेताम्बर जैन स्थानकवासी आन्नाय के सजन हैं । इस खानदान के पूर्वज सेठ पक्षालालजी के पौत्र श्रीयुत हजारीमलजी ६२
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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