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________________ मौसवाल जाति का इतिहास बा० मूलचन्दजी के श्रीचन्दजी, सुमेरमलजी, चन्दनमलजी, कन्हैयालाल जी एवम् मंगलचन्दजी और बा० सोहनलालजी के माणकचन्दजी और रतनलालजी नामक पुत्र हैं। आप तेरापन्थी संप्रदाय के हैं। श्री भैरोंलालजी बरड़िया बी० ए० एल० एल० बी० नरसिंहपुर ( सी० पी० ) इस परिवार के पूर्वज बरडिया परभचन्दजी आपने मूल निवासस्थान फलौदी ( जोधपुर स्टेट) से व्यापार के लिये नरसिंहपुर आये। यहाँ आकर आप रीयाँवाले सेठों की दुकान पर मुनीम हुए। आप संवत् १९५५ में स्वर्गवासी हो गये। आपके पुत्र दमरूलालजी करीब १५ सालों तक रीयाँवाले सेठों का दुकान पर प्रधान मुनीम रहे । आपने गोटे गाँव में मानमल मिलापचन्द तथा परभचन्द नंदराम के नाम से दुकान खोली । सन् १९२७ में आप स्वर्गवासी हो गये। आपके पुत्र भैरोंलालजी तथा मिश्रीलालजी हैं । भैरोलालजी बरड़िया-आपका जन्म संवत् १९५४ में हुआ। आपने सन् १९२३ में बी० ए० तथा १९२६ में एल. एल. बी. की डिगरी प्राप्त की। सन् १९२७ से आप नरसिंहपुर से प्रेक्टिस करते हैं। यवतमाल के ओसवाल सम्मेलन में आप मध्यप्रान्तीय ओसवाल महा सभा के सेक्रेटरी नियुक्त हुए थे। आपको लिखन तथा भाषण देने का अच्छा अभ्यास है। आपने एक "हिन्दी ग्रन्थ माला" भी प्रकाशित की थी। आपके छोटे भाई मिश्रीलालजी ने मेट्रिक तक अध्ययन किया है। श्री भैरोलालजी बरडियाके पुत्र पूनमचन्दजी तथा हुकुमचन्दजी पढ़ते हैं तथा लक्ष्मीचन्दजी और कुशलचन्दजी छोटे हैं। बनावट सेठ प्रतापमल फूलचन्द बनवट, आस्टा (भोपाल) यह कुटुम्ब जोधपुर स्टेट के रास ठिकाना का निवासी है, आप श्वेताम्बर जैन समाज के मंदिर मार्गीय आन्नाय के माननेवाले हैं। देश से लगभग संवत् १८५१ में सेठ विनेचन्दजी बनवट के पुत्र श्री नारायणदासजी, चन्द्रभानजी तथा नंदरामजी तीन भ्राता भोपाल स्टेट के मगरदा नामक स्थान में आये तथा वहाँ संवत् १८८१ में "नारायणदास नंदराम" के नाम से दुकान स्थापित की गई । सेठ नारायणदासजी के पुत्र चुन्नीलालजी तथा नंदरामजी के पुत्र छोगमलजी हुए। इन भ्राताओं में सेठ चुन्नीलालजी ने अफीम तथा लेन-देन के व्यापार में इस दकान के व्यापार तथा कुटुम्ब के सम्मान को विशेष बढ़ाया। इन दोनों सज्जनों का स्वर्गवास क्रमशः संवत् १९४६ तथा संवत् १९५८ में हुआ' सेठ चुन्नीलालजी के पुत्र प्रतापमलजी उनकी मौजूदगी में ही स्वर्गवासी हो गये थे। सेठ प्रतापमलजी बनवट के नाम पर बीजलपुर से फूलचन्दजी बनवट दत्तक आये तथा छोगमलजी के यहाँ सिरेमलजी, बड़ (खानदेश) से दत्तक आये। आप दोनों भाई संवत् १९६२ में अलग २ हो गये। सेठ फूलचन्दजी बनवट-आपका जन्म संवत् १९४६ में हुआ। आप संवत् १९६६ में मगरदे से आस्टा आये। आप ही की हिम्मत के बल पर दिगम्बर जैन प्रतिमा का जुलूस आस्टे में निकालमा भारम्भ १२०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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