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________________ जम्मड़ सेठ खेतसीदासजी जम्मड़ का परिवार, सरदारशहर इस परिवार के लोग जम्मद गौत्र के सज्जन हैं। बहुत वर्षों से ये लोग तोल्यासर ( बीकानेर ) नामक स्थान पर रहते आ रहे थे । इस परिवार में सेठ उम्मेदमलजी हुए। आप तोल्यासर ही में रहे तथा साधारण लेन तथा खेती वाड़ी का काम करते रहे । आपके खेतसीदासजी नामक एक पुत्र हुए । भाप तोल्यासर को छोड़कर, जब कि सरदार शहर बसा, व्यापार के निमित्त यहाँ आकर बस गये । यहाँ आने के १२ वर्ष पश्चात् याने संवत् १९०८ में यहीं के सेठ बींजराजजी दूगड़, सेठ गुलाबचन्दजी छाजेड़ और सेठ चौथमलजी आंचलिया के साथ २ कलकत्ता गये । तथा सब ने मिलकर वहाँ सेठ मौजीराम खेतसीदास के नाम से सामलात में अपनी एक फर्म स्थापित की । मालिकों की बुद्धिमानी एवम् व्यापार चातुरी से इस फर्म की दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होने लगी । इसके पश्चात् संवत् १९२८ में सेठ बींजराजजी एवम सेठ खेतसीदासजी ने उपरोक्त फर्म से अलग होकर अपनी नई फर्म मेसर्स खेतसीदास तनसुखदास के नाम से खोली । यह फर्म भी ४० वर्ष तक चलती रही। इस परिवार की सारी उन्नति इसी फर्म से हुई । सेठ खेतसीदासजी का स्वर्गवास संवत् १९३६ में ही हो गया था। आपके २ पुत्र हुए। जिनके नाम क्रमशः सेठ कालुरामजी एवम् सेठ अनोपचंदजी ( दूसरा नाम नानूरामजी ) हैं । सेठ कालूरामजी का जन्म संवत् १९१४ में हुआ । आपके छोटे भाई सेठ अनोपचंदजी थे। दोनों भाई बड़े प्रतिमा सम्पन्न और होशियार व्यक्ति थे । आप लोगों ने व्यापार में बहुत सम्पत्ति उपार्जित की। सामाजिक बातों पर भी आपका बहुत ध्यान था । पंच पंचायती के प्रायः सभी कार्यों में आप लोग सहयोग प्रदान किया करते थे । सेठ कालूरामजी बड़े स्पष्ट वक्ता और निर्भीक समाज सेवी थे । सेठ अनोपचन्दजी भी अपने भाई को सहयोग प्रदान करते रहते थे सेठ कालूरामजी का स्वर्गवास संवत् १९६८ में तथा सेठ अनोपचन्दजी का स्वर्गवास संवत् १९८२ में होगया । आप लोगों का स्वर्गवास होने के पूर्व ही सेठ बींजराजजी अलग हो चुके थे । सेठ कालुरामजी के तीन पुत्र हुए जिनने नाम क्रमशः सेठ मंगलचंदजी सेठ बिरदीचंदजी और सेठ शुभ करणजी हैं। सेठ अनोपचंदजी के कोई संतान न होने से सेठ बिरदीचंदजी दत्तक गये हैं । आप तीनों भाइयों का इस समय स्वतंत्र रूप से व्यापार हो रहा है। संवत् १९८६ तक आप लोग शामलात में व्यापार करते रहे । सेठ मंगलचन्दजी की फर्म मेसर्स खेतसीदास मंगलचन्दजी के नाम से कलकत्ता के मनोहरदास कला में चल रही है जहाँ कपड़ा एवम बैकिंग का व्यापार होता है। सेठ मंगलचन्दजी मिलनसार एवम समझदार व्यक्ति हैं । आपके रिधकरनजी और चन्दनमलजी नामक २ पुत्र हैं । सेठ बिरदीचन्दजी का जन्म संवत् १९४८ का है। आप मिलनसार एवम उत्साही सज्जन हैं। आपका ध्यान भी व्यापार की ओर अच्छा है। आपने अपने हाथ से ही कलकत्ता में एक कोठी खरीद की है । सरदार शहर में आपकी आलीशान हवेली बनी हुई है। आपकी फर्म कलकत्ता में ११३ क्रासस्ट्रीट में मेसर्स खेतसीदास मिलापचन्द के नाम से चल रही है। आपके मिलापचन्दजी नामक एक पुत्र हैं । ५९०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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