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________________ नोसवान जाति का इतिहास स्वर्गवासी हो गये। आपके हाथों से व्यापार को तरकी मिली। आपके बड़े भ्राता सेठ कनीरामजी के सामचन्दजी नामक पुत्र हुए। इनका स्वर्गवास संवत् १९७२ में हो गया। लाभचन्दजी पूलिया के मेमीचन्दजी तथा सरदारमलजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें नेमीचन्दजी (सेठ जवाहरमलजी के पुत्र) छोगमलजी के नाम पर दत्तक गये। इनका स्वर्गवास संवत् १९७२ में हो गया। सेठ सरदारमलजी पूंगलिया-आपका जन्म संवत् १९४४ में हुआ। आपका धार्मिक कामों की ओर बहुत बड़ा लक्ष है। आपने नागपुर स्थानक की बिल्डिंग बनवाने में सहायता दी, तथा बहुत परिश्रम उठाया। यहाँ आपने कई साधुओं के चातुर्मास कराये। केसरबाई के ४७ दिनों के संथारे का व्यय उठाया वृद्धि ऋषिजी की दीक्षा का खरच उठाया, नामली में स्थानक बनवाया। स्थानीय मंदिर के कलश चढ़ पाने में ५ हजार रुपये दिये, इत्यादि कई धार्मिक काम किये। आप नागपुर के जैन समाज में नामांकित गृहस्थ हैं। आपके यहाँ नेमीचंद सरदारमल के नाम से सोना चांदी तथा सराफी व्यापार होता है । सेठ केसरीमल पीरूदान पुंगलिया, चांदा इस परिवार का मूल निवास स्थान खारा ( बीकानेर स्टेट) है। वहाँ से संवत् १९३५ । १० के लगमग यह कुटुम्ब भिनासर (बीकानेर स्टेट) गया, तथा भिनासर से सेठ शिवजीरामजी के पुत्र लखमीचन्दजी पुगलिया २० साल की उमर में चांदा आये, तथा उन्होंने अमरचन्दजी अगरचन्दजी गोलेछा की दुकान पर १९६४ तक मुनीमात की, आपके ६ छोटे भ्राता रावतमलजी, भेरूदानजी, मंगलचन्दजी, केशरीमलजी, पूनमचन्दजी तथा पीरूदानजी नाम के और थे, इन भाइयों में से भेरोंदानजी केशरीमल जी तथा पूनमचन्दजी के कोई संतान नहीं हैं। सेठ लखमीचन्दजी पूलिया मुनीमी करते रहे, तथा भेरूदानजी ने व्यापार शुरू किया। आपके बाद केसरीमलजी तथा पीरूमलजी काम काज चलाते रहे। संवत् १९६४ में लखमीचन्दजी ने अपना घरू चांदी सोने का व्यवसाय शुरू किया। संवत् १९८९ में इनका शरीरावसान हुआ। सेठ रावतमलजी पुलिया के हमीरमलजी तथा राजमलजी नामक २ पुत्र हुए तथा हमीरमलजी के केवलचन्दजी तथा खेमचन्दजी नामक पुत्र हुए। इनमें सेठ राजमलजी, पीरूदानजी के नाम पर तथा केवलचंदजी, लखमीचन्दजी के नाम पर दत्तक गये। पुगलिया मंगलचंदजी का शरीरान्त संवत् १९७८ में हमा। इनके ३ पुत्र हुए दीपचन्दजी मूलचन्दजी तथा नेमीचन्दजी। इन भ्राताओं के यहाँ दीपचन्द पुङलिया के नाम से चांदा में चांदी सोना व सराफी ब्यापार होता है। सेठ राजमलजी पूँगलिया-अपका जन्म संवत् १९४९ के में हुभा, आपने अपने व्यापार की उन्नति के साथ २ कृषि तथा मालगुजारी के काम को बढ़ाया आपके पास इस समय ४ गाँवों की जमीदारी है। आप चांदा के व्यापारिक समाज में अच्छी इज्जत रखते हैं संवत् १९३० से आप चांदा म्युनिसिपैलिटी के मेम्बर निर्वाचित हुए हैं, सार्वजनिक और लोकहित के कामों में आप सहायता देते रहते हैं। भापके मन्नालालजी, चुनीलालजी, उत्तमचन्दजी, रेखचन्दजी तथा गुलाबचन्द नामक ५ पुत्र हैं जिनमें मत्रालालजी की वय २० साल की है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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