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________________ गोठी जी नामक पुत्र हैं। सेठ के शरीचन्दजी गोठी का जन्म संवत् १९४९ में हुआ । आपने मेट्रिक तक शिक्षा पाई है, तथा जमीदारी और दुकानों का कार्य देखते हैं। श्री दीपचन्दजी गोठी-आप सेठ लखमीचन्दजी गोठी के छठे पुत्र हैं। आपका जन्म संवत् १९५५ की दीपमालिका के दिन हुआ। नागपुर कांग्रेस से आपने राष्ट्रीय कायों में सहयोग देना आरंभ किया। आपके दयालु व अभिमान रहित स्वभाव के कारण बेतूल जिले की जनता आपसे दिनों दिन अधिकाधिक स्नेह करने लगी। आप जमता में सेवा समिति आदि का संगठन करते रहे। सन् १९२० में आपने "गौंड" नामक जंगली जातियों से शराब मांस आदिछुड़वाने का ठोस कार्य आरंभ किया। सन् १९२७ में आपको डिस्ट्रिक्ट कौंसिल की मेम्बरशिप व एम. एल. सी. का सम्मान प्राप्त हुभा । थोड़े समय बाद आप कौंसिल से इस्तीफा देकर सत्याग्रह संग्राम में प्रविष्ठ हुए। सन् १९२९ में जंगल सत्याग्रह करने के उपलक्ष में आपको एक साल का कारावास तथा ५००) जुर्माने की सजा हुई। आप की गिरफ्तारी के समय आपके प्रेम के वर्शभूत होकर २५। ३० हजार गौंड जनता उपस्थिति थी। आपके पीछे आपके परिवार से गवर्नमेंट ने सत्याग्रह शांत करने के लिये भेजी गई पुलिस के खर्चे के ३४००) वसूल किये। भाप गांधी इरविन समझौता के अनुसार • मास ४ दिन की सजा भुगत कर ता०९ मार्च ११के दिन नागपूर जेल से छटे। आपकी प्रथन पत्नी श्रीमती सगनदेवीजी भाप जेक यात्रा के पश्चात् अत्यन्त त्यागमय जीवन विताने लगी। जिससे उनका शरीर क्षीण होगया और रोगप्रसित होजाने के कारण उनका शरीरान्त ५ सितम्बर १९६४ में होगया घर सालों से गोठी दीपचन्दजी डिस्ट्रिक्ट कौंसिल के सेक्रेटरी तथा स्कूल बोर्ड के मेम्बर हैं। भापका प्रेमालु स्वभाव प्रशंसनीय है। इतनी बड़ी सम्पत्ति तथा सम्मान के स्वामी होते हुए भी आपको अभिमान छू तक नहीं गया है। आपके छोटे भाता फूलचन्दजी अपनी मालगुजारी का काम देखते हैं। यह परिवार सी० पी० के ओसवाल समाज में बहुत बड़ी प्रतिष्ठा रखता है । इस समर लगभग १०० गांवों की जमीदारी इस कुटुम्ब के पास है। इस परिवार को मुख्य दुकान “सेठ प्रतापमल लखमीचन्द" के नाम से बेतूल में है। जिस पर जमीदारी, बेंकिंग तथा चांदी सोने का व्यापार होता है। इसके अलावा इस परिवार की भिन्न २ नामों से बेतूल इटारसी तथा जुनरदेव में दुकाने हैं । सेठ बालचन्द गंभीरमल गोठी, परभणी (निजाम) इस खानदान के मालिक मूल निवासी बिलाड़ा (जोधपुर-स्ट्रेट) के हैं। आप मंदिर आम्नाय के सज्जन हैं। सब से पहले बिलाड़ा से सेठ बालचन्दजी गोठी करीब १२५ बरस पहले परभणी में आये। आपने यहाँ आकर के अपनी फर्म स्थापित की। आपको स्वर्गवासी हुए करीब ५० वर्ष हो गये होंगे । आपके पश्चात आपके पुत्र सेठ गम्भीरमलजी गोठी ने इस फर्म के काम को सम्हाला । आपके समय में भी फर्म की बराबर तरक्की होती रही आपका संवत् १९५६ में स्वर्गवास हुआ। आपके पश्चात् आपके पुत्र सेठ मोहनलालजी गोठी ने इस फर्म के काम की बहुत तरक्की दी। मापका जन्म संवत् १९२५ में हुआ। आपने मकान, बगीचे वगैरा बहुत सी स्थावर संम्पत्ति बढ़ाई । पर. ५५.
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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