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________________ मौसवाल जाति का इतिहास सेठ गुलाबचन्दजी का परिवार-सेठ गुलाबचन्दजी ने व्यापार में बहुत उन्नति की। मापने स्थानीय भलबाड़ा मन्दिर के ऊपर सोने के कलश चढ़वाने में २१००) की मदद दी । आपका स्वर्गवास हो गया। आपके इस समय धनराजजी और प्रेमराजजी नामक दो पुत्र विद्यमान हैं । आजकल आप दोनों ही अलग २ रूप से व्यापार करते हैं। सेठ धनराजजी वृद्ध पुरुष हैं। आपके मन्त्रालालजी नामक एक पुत्र हैं। आप भी मिलनसार उत्साही एवम् नवीन विचारों के युवक हैं। भापके लालचन्द, प्रसन्नचन्द, विमलचन्द और नरेशचन्द्रजी नामक चार पुत्र हैं। सेठ प्रेमराजजी के हरकचन्दजी और सन्तोषचन्दजी नामक दो पुत्र हैं। यह परिवार भानपुरा में प्रतिष्ठित समझा जाता है। सेठ पन्नालाल हजारीमल चोरडिया, मनमाड यह परिवार धनेरिया ( मेड़ता के पास ) का निवासी है। वहां से सेठ खूबचंदजी चोरडिया के पुत्र सेठ जीतमलजी चोरदिया लगभग १०० साल पूर्व मनमाड के समीप घोटाना नामक स्थान में आये। और यहां लेन देन का धंधा शुरू किया । इनके हजारीमलजी तथा मगनीरामजी नामक पुत्र हुए। सेठ हजारीमलजी ने मनमाड में दुकान खोली आपका स्वर्गवास संवत् १९५९ में तथा मगनीराम जो का १९३६ में हुआ। सेठ हमारीमलजी के पन्नालालजी राजमलजी तथा सेठ मगनीरामजी के पुनमचन्दजी और सरूपचन्दजी नामक २ पुत्र हुए। इन भाइयों में सेठ पनालाजजी चोरड़िया ने इस कुटुम्ब के व्यापार और सम्मान को विशेष बढ़ाया । भाप चारों भाइयों का कारवार संवत् १९५० में अलग २ हुआ। सेठ राजमलजी का स्वर्गवास संवत् १९४८ में तथा पन्नालालजी का संवत् १९७८ में हुआ। सेठ पक्षालालजी के नाम पर राजमलजी के पुत्र खींवराजजी दत्तक आये। वर्तमान में इस परिवार में सेठ खींवसीराजजी तथा मूलचन्दजी के पुत्र ताराचन्दजी विद्यमान हैं। सेठ खींवराजजी का जन्म १९५९ में हुआ । आपके यहां “पन्नालाल हजारीमल" के नाम से साहुकारी लेनदेन का काम होता है। आपका परिवार भास पास के व मनमाड के ओसवाल समाज में अच्छी प्रतिष्ठा रखता है। आपके पुत्र अमोलकचन्दजी, माणकचम्दजी और मोतीचन्दनी हैं। यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय मानता है। चौधरी पीरचंद सूरजमल चोरड़िया, बुरहानपुर इस परिवार का मूल निवास पीपाड़ (जोधपुर स्टेट ) में है । देश से लगभग ६५ साल पहिले सेठ सूरजमलजी चोरडिया इच्छापुर (बुरहानपुर से १२ मील) आये । आपके हाथों से धंधे की नींव जमी संवत् १९३६ में आपका शरीरान्त हुभा। आपके पुत्र पीरचन्दजी का जन्म संवत् १९३२ में हुआ। श्री पीरचन्दजी ने संवत् १९७८ में बुरहानपुर में दुकान की यहां आप इच्छापुर बालों के नाम से बोले जाते हैं। पीरचन्दजी चौधरी शिक्षित सज्जन हैं । यह चौधरी परिवार पीपाड़ में नामांकित माना जाता है और वहां मोतीरामजी वालों के नाम से मशहूर है, इस परिवार के पुरुषों ने जोधपुर स्टेट में आफीसरी, हाकिमी आदि के कई काम किये हैं। इच्छापुर में इस परिवार के ५घर है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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