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________________ मोसवाल जाति का इतिहास स्थान में आये। आपके पुत्र बालारामजी और उनके पुत्र देवीचन्दजी तथा जसराजजी सिंदिया में रहते हैं। तथा रतनचन्दजी के पुत्र मैनसुखजी, माणकलालजी व धनराजजी नाशिक में किराने का व्यापार करते हैं। सिंदिया से सेठ हंसराजजी रॉका शके १८२८ में नाशिक आये तथा यहाँ किराने का काम शुरू किया, आपने इस व्यापार में काफी उन्नति प्राप्त कर फर्म की प्रतिष्ठाव इज्जत को बढ़ाया। आपका जन्म संवत् १९५१ में हुआ आपके पूनमचंदजी, चुन्नीलालजी, मोहनलालजी और फतेचंदजी नामक पुत्र हैं। पूनमचन्दजी स्थानीय म्युनिसिपैलेटी के मेम्बर हैं। चुन्नीलालजी एम० ए० फाइनल और एल० एल० बी० में अध्ययन कर रहे हैं। मोहनलालजी ने मैट्रिक तक शिक्षा पाई है, तथा फतेचन्दजी मैट्रिक में पढ़ रहे है। चुनीलालजी रॉका ओसवाल जैन बोडिंग नाशिक के सेक्रेटरी हैं, इसी तरह आप नाशिक जिला ओसवाल सभाके अधिवेशन के सेक्रेटरी थे। मोहनलालजी को राष्ट्रीय कामों में भाग लेने के उपलक्ष में सन् १९६२ में ३ मास की जेल हुई थी । यह परिवार नाशिक व भासपास के ओसवाल समाज में अच्छी प्रतिष्ठा रखता है। सेठ पूनमचन्द श्रीचन्द रांका, पूना इस परिवार का मूल निवास स्थान राणी (गोडवाड़) है राणी से सेठ पूरनचन्दजी रांका १० साल पहिले पूना भाये । थोड़े समय तक आपने रामचन्द हिम्मतमल की भागीदारी में व्यापार किया । पश्चात् अपने साले सादड़ी (गोडवाइ) निवासी सेठ चत्रींगजी की भागीदारी में पूना केम्प में संवत् १९४४ में दुकान की। इस दुकान ने अंग्रेज लोगों से लेन देन का ब्यापार शुरू किया आपने इस व्यापार में बहुत सम्पत्ति कमाकर अपने मकानात दुकाने बंगले आदि बनवाये। इस समय ४६ मालकम टेंक रोड पर पूनमचन्द श्रीचन्द के नाम से इस दुकान पर बैकिंग तथा प्रापर्टी के किराये का कार्य होता है। यहाँ की दुकानों में यह दुकान प्रतिष्ठित मानी जाती है। सेठ पूनमचंदजी के पुत्र कुंदनमलजो तथा चंदनमलजी इस समय सादड़ी में रहते हैं। सेठ चत्रींगजी का परिवार-आपने १८ सालों तक सेठ रामचन्द हिम्मतमल पूना वालों की दुकान पर नौकरी की । तदनंतर अपने बहनोई के साझे में पूना में दुकान को । उस दुकान के व्यापार को आपने बहुत बदाया। चतरींगजी सेठ ने सादडी में कई धार्मिक काम किये । आपका जन्म संवत् १९१७ में हुआ । आपने गणकपुरजी के मेले में ७ हजार आबूजी आदि के संघ में ३५०१) तथा न्यात के नोरे में ३१००) लगाये । आपके पुत्र केसरीमलजी का जन्म संवत् १९४४ में हुआ। आप इस समय ब्यापार का संचालन करते है। केसरीमलजी के पुत्र सागरमलजी तथा जावंतराजजी हैं। सागरमलजी होशियार युवक हैं। आप ग्यापार में भाग लेते हैं। यह परिवार लुका गच्छ का अनुयायी है। सेठ कीरतमल पन्नालाल रांका, चिंचवड़ ( पूना) इस परिवार का मूल निवास स्थान भावी (जोधपुर) है । वहाँ से लगभग १०० साल पहिले सेठ तेजमलजी रांका के पुत्र सेठ कीरतमलजी रांका चिंचवड़ आये तथा कपड़ा व अनाज का व्यापार शुरू किया। आपके पन्नालालाजी, निहालचंदजी तथा मूलचन्दजी नामक ३ पुत्र हुए। इनमें सेठ पनालालजी रांका :चिंचवड़ के अग्रगण्य थे। आप स्थानीय फतेचन्द जैन विद्यालय के प्रथम सभापति थे । इस संस्था की
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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