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________________ सेठिया सज्जन हैं। आप श्वेताम्बर जैन भाम्माप के मानने वाले हैं। सेठ बख्तावरचन्दजी सेठी बीकानेर में बहुत प्रतापी व्यक्ति हुए हैं। आपने बीकानेर में सबसे पहले नगर भोजन करवाया जिसे ग्राम सारणी कहते हैं। बीकानेर राज्य में भी आपका बहुत प्रभाव था । धार्मिक कायों की तरफ भी भापका बहुत लक्ष्य था तथा इनमें आपने बहुत रुपये खर्च भी किये। आपने इस फर्म को नागपुर में १२५ वर्ष पूर्व पित की थी। बख्तावरचन्दजी के पुत्र करणीदानजी हए । भापने नागपुर के अन्तर्गत मारवाड़ी समाज में बहुत नाम कमाया। आपका यहाँ की मारवाड़ी समाज में बहुत प्रभाव था । भापकी दुकान नागपुर में अभी तक बढ़ी दुकान के नाम से मशहूर है। करणीदानजी के कोई पुत्र न होने से भापके यहाँ श्रीयुत् पूनमचन्दजी दत्तक आये। इस समय आपही इस फर्म के मालिक हैं। आपके इस समय एक पुत्र है जिनका नाम रतनलालमो है। इस समय इस फर्म पर कपड़े का व्यापार होता है। भी पूनमचंदजी राका, नागपुर . श्रीयुत पूनमचन्दजी रांका, जामनेर (पूर्व खानदेश ) तालुका के तोंडापुर नामक प्राम के निवासी छोगमलजी का मझले पुत्र है भाप संवत् १९६२ में नागपुर के रांका शंभूरामजी के नाम पर इत्तक लाये गये । रांका शंभूरामजी संवत् १९२० में खींवसर (मारवाद) से नागपुर आये थे मापने कपड़े की दुकान की तथा संवत् १९६० में आप स्वर्गवासी हुए। रोका पूनमचंदजी का जन्म संवत् १९५५ की मिती आषाढ़ सुदी ४ को तोतापुर में हुषा, भापका शिक्षण घर पर ही हुआ। संवत् १९७७ तक आप अपना घरू कपड़े का व्यापार देखते रहे। जब संवत् १९७७ में नागपुर में राष्ट्रीय कांग्रेस का महा अधिवेशन हुआ, उसमें आप प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हए और वहीं से भापके जीवन में सामाजिक सुधार और राष्ट्रीयता का अध्याय भारम्भ हुभा। फलतः उसी समय आपने अपने समाज को जागृत करने के लिये सन् १९२० में "मारवाड़ी सेवा संघ" नामक संस्था का स्थापन किया और आपने स्वयं उसके सभापति का स्थान संचालित किया। संन् १९२३ नागपुर के झंडा सत्याग्रह में आपने विशेष रूप से भाग लिया एवम् दिन दिन सामाजिक एवम् राष्ट्रीय कार्यों में भाप नूतन उत्साह से पैर बढ़ाते गये। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती धनवती बाई रोका ने परदा प्रथा को तिलांजलि देकर, समाज की स्त्रियों के सम्मुख एक नूतन भादर्श रक्खा है,माप सार्वजनिक सभाओं में भाषण देती हैं तथा हर एक सार्वजनिक कामों में भाग लेती हैं। इस तरह सेठ पूनमचन्दनी रांका सन् १९३० तक राष्ट्रीय कार्यों में सहयोग लेते रहे। इसी समय आपने समाज सुधार के लिये भोसर मोसर विरोधक पार्टी भी स्थापित की। इसके भी आप प्रेसिडेंट रहे। सन् १९३० से आपने अपने घरू कार्यों से सम्बन्ध छोड़कर अपना सब समय कांग्रेस की सेवा की भोर लगाना भारम्भ कर दिया तथा इसी साल तारीख ३१।।३० को राष्ट्रीय महायुद्ध में सम्मिलित होने के उपलक्ष में माप गिरफ्तार किये गये । दोनों बार आपको ऊँचा क्लास दिया गया । लेकिन जेल में आपने दूसरे राजवन्दियों के साथ A.B.C. इस प्रकार तीन प्रकार के व्यवहार देखकर गवर्नमेंट से सबके साथ एक समान व्यवहार करने की प्रार्थना की लेकिन जब आपकी प्रार्थना पर कुछ ध्यान नहीं दिया गया तो
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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