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________________ नाम-सेठिया भर्जुन की कई पीढ़ियों के पश्चात् सेठ उदाजी और इनके पुत्र माँखणजी हुए। आप लोग पहले सज्जनपुर बगड़ी में रहते थे और संवत् १७०७ की बैसाख सुद • को आपने बगड़ी से बलूदा आकर निवास कर दिया। तभी से इस परिवार वाले बलूँदे में रहते हैं। इनके वंशज तिलोकचन्दजी के वंश में मगराजजी हुए जिनके पुत्र गुलाबचन्दजी से इस परिवार का इतिहास आरम्भ होता है। . सेठ बख्तावरमल मोहनलाल-नाग सेठिया, मद्रास सेठिया गुलाबचन्दजी के वंशज बलूदे में रहते हैं। आप ओसवाल जैन श्वेताम्बर समाज की तेरापंथी आम्नाय को माननेवाले हैं। सेठ गुलाबचन्दजी संवत् १८७५ के लगभग बलूदे से पैदल रास्ते द्वारा जालना आये और वहाँ पर अपनी फर्म स्थापित की। इस फर्म पर आप बड़ी सफलता के साथ सराफी का कारबार चलाते रहे। आपके दो पुत्र हुए जिनके नाम अमरचन्दजी तथा गम्भीरमलजी थे। गम्भीरमलजी-आप सन् १८१७ में अंग्रेजी पलटन के साथ पैदल रास्ते से मद्रास आये। कहते हैं कि इस मुसाफिरी में भापको तीन वर्ष लगे। इस घटना से आपकी जबर्दस्त हिम्मत का पता लग सकता है। श्रीयुत गम्भीरमलजी ने मद्रास में आकर गम्भीरमल एण्ड को. के नाम से १५० स्टॉडस रोड (पहलम सूला) में अपनी फर्म स्थापित की । प्रारम्भ से ही मापने इस फर्मपर वैकिग का व्यापार शुरू किया था। आप बड़े साहसी, व्यापार कुशल और दूरदर्शी पुरुष थे। आपने अपनी बुद्धिमानी से इस फर्म को बहुत तरक्की दी। आपका स्वर्गवास संवत् १९९६ में हुआ। आपने अपने समय में अनेक जाति भाइयों को मद्रास प्रान्त में लाकर बसाया। आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम चौथमलजी, वस्तावरमलजी तथा शुभकरणजी था । गम्भीरमलजी के पश्चात् इस फर्म के कारभार को आप तीनों भाइयों ने सम्हाला । आप तीनों भाइयों का जन्म क्रमशः संवत् १९१३, १९१८ तथा १९३३ में हुआ था। बख्तावरमलजी-आप इस खानदान में बड़े प्रतापी पुरुष हो गये हैं । मद्रास की जनता में आप राजा सावकार के नाम से प्रसिद्ध थे। आप अपने जाति भाइयों को बहुत मदद पहुँचाते रहते थे। उस समय मद्रास में मारवाड़ियों की इनी गिनी दुकानें थी अतः मारवाड़ से शुरू में जो कोई भी व्यक्ति मद्रास की तरफ जाते तो उन्हें आप बड़े प्रेम से अपने यहाँ ठहराते और धंधे लगवाते थे। आपने कई लोगों को सहायता और सहानुभूति देकर मद्रास में जमाया। आपका स्वर्गवास संवत् १९५६ में हुमा। के चार पुत्र हुए जिनके नाम शिवलालजी, मोहनलालजी, मग्गूलालजी तथा केवलचन्दजी था। सेठिया शुभकरणजी के दो पुत्र हए जिनके नाम क्रमशः कन्हैयालालजी और आसकरणजी था। बहुत समय तक सब भाई साथ में व्यापार करते रहे फिर संवत् १९६६ के आषाढ़ सुदी १२ को इस फर्म की तीन स्वतंत्र शाखाएं-बख्तावरमल मोहनलाल, शुभकरण कन्हैयालाल, तथा शुभकरण आसकरण के नाम से हो गई। मोहनलालजी सेठिया-अपका जन्म संवत् १९४१ की मगसर वदी ४ को हुआ । आप भी अच्छे पुरुष हुए । आपका स्वर्गवास संवत् १९७१ की आषाद सुदी ५ को हुआ। आपके स्वर्गवास समय आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री जसवन्तमलजी की वय बहुत थोड़ी थी अतः उस समय इस फर्म के सारे कार
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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