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________________ प्रोसवाल आति का इतिहास . गोलेछा जालमचंदजी का स्वगवास संवत् १९५६ में हुआ। इनके लादूरामजी तथा अगरचंद जी नामक २ पुत्र हुए। इनमें लादूरामजी, सेठ बाघमलजी के नाम पर दत्तक गये । आप दोनों सज्जनों का जम्म क्रमशः संवत् १९२९ तथा ३२ में हुआ। आपका "जयकरणदास वाघमल" के नाम से विजगापट्टम में बैटिग व्यापार होता है। वहां आपके चार गांव जागीरी के भी है। लादूरामजी के पुत्र सुखलाल जी और पञ्चालालजी तथा अगरचंदजी के पुत्र भोमराजजी व्यापार में भाग लेते हैं। इसी तरह इस परिवार में सागरचंदजी के पौत्र विजयलालजी तथा प्रपोन चम्पालालजी, सागरमल सुजानमल के नाम से मेड्रोज स्ट्रीट मद्रास में वैकिंग व्यापार करते हैं। तथा रूपचन्दजी के पौत्र माणकलालजी लक्ष्मीचन्दजी भादि रूपचन्द छोगमल के नाम से मद्रास में व्यापार करते हैं। यह परिवार खिचन्द तथा मद्रास प्रांत के ओसवाल समाज में प्रतिष्ठित माना जाता है। गोलेछा रावतमलजी अगरचंदजी तेजमालजी का परिवार, खिचंद · हम उपर बतला चुके हैं कि गोलेछा फतेचन्दजी के ५ पुत्र थे । इनमें तीसरे सुखमलजी थे । इनके बाद क्रमशः चेताजी, पदमसीजी तथा इन्द्रचन्दजी हुए। गोलेका इन्द्रचन्द्रजी के रावतमलजी, अगरचंदजी तथा तेजमालजी नामक ३ पुत्र हुए। गोलेछा रावतमलजी का जन्म संवत् १९१९ में हुआ। १२ साल की वय में ही आप अमरावती चले गये । वहां जाकर आपने नौकरी की । वहां से आप बम्बई गये और तथा वहाँ संवत् १९४४ में गुलराजजी कोठारी के भाग में गुलराज रावतमल के नाम से दुकान की। तथा १९४८ में रावतमल अगरचन्द के नाम से अपना घरू व्यापार आरम्भ किया । आप साधु स्वभाव के पुरुष थे। इस प्रकार मामूली स्थिति से अपनी फर्म के व्यापार को दृढ़ बनाकर आपका स्वर्गवास संवत् १९४२ में हुआ। आपके रतनलालजी, दीपचन्दजी, समरथमलजी, हस्तीमलजी, और धनराजजी नामक ५ पुत्र हैं। इनमें सेठ रतनलालजी का जन्म संवत् १९५० में हुआ । आप शिक्षित तथा प्रतिष्ठित सज्जन है। आपके यहां "रतनलाल समरथमल" के नाम से कालबादेवी रोड बम्बई में भादत का व्यापार होता है। यह फर्म संवत् १९७५ में खुली है। सेठ अगरचन्दजी का जम्म संवत् १९३३ में तथा स्वर्गवास १९५८ में हुआ। आपके जेठमल जी तथा शंकरलालजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें शंकरलालजी, सेठ तेजमलजी के नाम पर दत्तक गये हैं। और जेठमलजी १९ वर्ष की आयु में १९७१ में स्वर्गवासी हुए। सेठ तेजमलजी संवत् १९७५ में ३५ साल की आयु में स्वर्गवासी हुए। आपने व्यवसाय की उन्नति में काफी सहयोग दिया था। गोलेछा शंकरलालजी का जन्म संवत् १९५६ में हुआ। आप समझदार तथा शिक्षित सज्जन हैं। आप, जेठमलजी के पुत्र मानमलजी के साथ " अगरचन्द शंकरलाल " नाम से मद्रास में वैकिंग व्यापार करते ।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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