SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1010
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीसवाल जाति का इतिहास गुलाबचन्दजी सम्वत् १९५४ में १५ वर्ष की उम्र में ही स्वर्गवासी हुए। इस समय आपके पुत्र मंगळ चन्दजी हैं। इनका जन्म सम्बत् १९४७ का है। - गजराजजी का जन्म सम्वत् १९५७ का है। आप भी बड़े योग्य सजन हैं। आपके एक पुत्र है जिनका नाम जालिमचन्दजी है। इनका सम्वत १९४२ का जन्म है। यह परिवार पनरोटी, फलौदी पादि स्थानों में अच्छा प्रतिष्ठित माना जाता है। मेहता राजमल रोशनलाल कोचर का खानदान, कलकत्ता इस खानदान के पूर्वज बहुत समय से ही बीकानेर में रहते आ रहे हैं। आप लोगों ने बोकानेर स्टेट की समय २ पर सेवाएँ को हैं। इस खानदान में मेहता जेठमलजी कोचर हुए। आपके मानमलजी नामक एक पुत्र हुए। मापने भादरा तथा सुजानगढ़ की हुकूमात की व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भी रहे। राज्य में आपका सम्मान था। आपका सम्बत १९७२ में स्वर्गवास हो गया । आपके लूणकरनजी, हीरालालजी, हजारीमलजी तथा मंगलचन्दजी नामक चार पुत्र हुए। मेहता लूणकरनजी का परिवार-मेहता लूणकरनजी कानून के अच्छे जानकार तथा कार्यकुशल सजन थे। आप बीकानेर राज्य में नायब तहसीलदार, नाजिम आदि पदों पर सं० १९८७ तक काम करते रहे । तदनंतर स्टेट से पेंशन प्राप्त कर आप बीकानेर में धार्मिक जीवन बिता रहे हैं। आपके राजमलजी, जीवनमलजी, सुन्दरमलजी, रोशनलालजी एवं मोहनलालजी नामक पाँच पुत्र विद्यमान हैं। मेहता राजमलजी बड़े व्यापार कुशल व्यक्ति हैं आपने पहले पहल कृपाचंद उत्तमचंद के साझे में कलकत्ते में एक फर्म स्थापित की थी। बाद में सन् १९३० से नं० १६ क्रास स्ट्रीट कलकत्ता में अपनी एक स्वतन्त्र फर्म स्थापित की जिसपर जापान, विलायत भादि देशों से कपड़ा इम्पोर्ट होता है। आपकी फर्म पर देशी मीलों के कपड़े का भी कारबार होता है । जीवनमलजी ने कलकत्ता यूनीवर्सिटी से बी० कॉम प्रथम दर्जे में ब सारी युनिवर्सिटी में द्वितीय नम्बर से पास किया। इस समय आप बी० एल० में पढ़ रहे हैं। आप बड़े सुधरे हुए विचारों के सजन हैं। सुन्दरलालजी मेट्रिक में तथा रोशनलालजी व मोहनलालजी भी पढ़ते हैं। मेहता लूणकरनजी के भाई मेहता हीरालालजी तथा मंगलचंदजी बीकानेर स्टेट में सर्विस करते तथा हजारीमलजी कलकते में व्यवसाय करते हैं। श्री माणिकलालजी कोचर बी० ए० एल०एल० बी०, नरसिंहपुर इस परिवार के पूर्वज कोचर ताराचन्दजी फलौदी में रहते थे। वहाँ से इनके पौत्र रावतमलजी बथा जेठमलजी सं० १०॥ में मुंजासर गये । मुंजासर से सेठ जेठमलजी के पुत्र इन्द्रचन्द्र जी, बाधमलजी
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy