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________________ ( १५ ) वर्तमान प्राचार्य आठवें आचार्य, हमारे धर्तमान शासन नायक, श्री श्री १००८ श्रीश्री प्रातःस्मरणीय श्री कालुरामजी महाराजका जन्म मिती फाल्गुन शुक्ला २ सं० १६३३ को छापर (बीकानेर) में हुआ था। आपके पिताजी का नाम मूलचन्दजी कोठारी और माताका नाम छोगांजी है। आपकी दीक्षा सं० १६४४ मिती आसोज सुदी ३ को आपकी माताजी सती छोगांजीके साथही बिदासरमें हुई थी। दीक्षा संस्कार पांचवें आचार्य स्वामी मघराजजी महाराजके हाथसे हुआथा। पुज्यजी महाराज स्वामी डालचन्दजीके देहावसान के बाद आपको पाट गद्दी मिली। आपको सं० १६६६ मिती भादवा सुदी १५ को आचार्य पद मिला था। आपकी माता सती छोगांजी अब भी विद्यमान हैं। इनकी अवस्था लगभग १० साल की हो चुकी है। नाना प्रकारके कठिन तप और व्रतोंको करते रहनेसे इनका शरीर क्षीण हो गया है। देह दुर्बलता और आंखोंकी ज्योति चले जानेसे आपको विदासर (बीकानेर) में स्थानाथपं कर दिया गया है । वर्तमान आचार्य महाराज के शासन कालमें धर्मका बहुत प्रचार हुआ है। ई० सन् १९३३ तक आप १४३ साधु और २२३, साध्वियां दीक्षित कर चुके थे। श्रावक तथा श्राविकाओं की संख्या भी काफी बढ़ी है। थली, ढुंढाड, मारवाड़, मेवाड़, मालवा, पंजाब, हरियाना, आदि देशों के अतिरिक्त बम्बई, गुजरात दक्षिण आदि दूर दूर प्रांतों में आप साधुओंके चौमासे करवा रहे हैं जिससे धर्मका क्रमशः प्रचार हो रहा है । अभी गण समुदायमें १४१ साधु और ३३३ साध्वियां हैं। वर्तमान आचार्य श्रीकालूरामजी का शास्त्रीय अध्ययन बड़ा ही गम्भीर है। वे संस्कृतके अगाध पण्डित हैं। अपने सम्प्रदाय के साधु और साध्वियोंमें आप संस्कृत भाषाका विशेष रूपसे अध्ययन अध्यापना करा रहे हैं। आपका असाधारण शास्त्र ज्ञान, प्रभावोत्पादक धर्म उपदेश, गम्भीर मुख-मुद्रा, पवित्र ब्रह्मचर्यका तेज और व्यक्तित्वकी असाधारणता, हृदय पर जादूका सा असर डालती है। उनके
SR No.032674
Book TitleJain Shwetambar Terapanthi Sampraday ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Terapanthi Sabha
PublisherMalva Jain Shwetambar Terapanthi Sabha
Publication Year
Total Pages50
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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