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प्रधानविषय दायविभागववर्णनम्,
औरसादिपुत्राणांवर्णनश्च- १८०६ स्त्रिया अस्वातन्त्र्यकथनम् । १८०६
अगम्यस्त्रीणामभिधानवर्णनम्। १८११ दाय विभाग, त्रियों की शक्ति को किसी प्रकार क्षीण न होने देना इसके लिये पति, पुत्र एवं पिता का उत्तरदायित्व, अगम्या जो स्त्री जिस पुरुष को
है उसका निरूपण । ३०२ देवादितर्पणविधिवर्णनम् । १८१२
स्नातकव्रतवर्णनम् । नातक के व्रत तथा आचार, पूज्यजनों से कैसा
व्यवहार करना चाहिये (१-६६)। ४०२ सन्ध्योपासनविधिवर्णनम् । १८१७
सन्च्या कर्म की विधि और कर्तव्यता (१-३०)। ५५०२ मध्याह्नस्नानविधिवर्णनम् । . १८१६
. ब्रह्मयज्ञाङ्गतर्पणवर्णनम् । १८२० मध्याह्न कम से प्रारम्भ कर ब्रह्मयज्ञान, अमि.
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