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प्रधानविषय
अध्याय
१२ उपाकर्मप्रकरणवर्णनम् ।
उपाकर्म का विधान श्रावण के महीने में हस्त नक्षत्र में करने का निर्देश किया है ( १-१७) ।
१३ उत्सर्जन प्रकरणवर्णनम् ।
१४ गोदानादित्रयप्रकरणवर्णनम्
१७२५
उत्सर्ग - षण्मास (लै मास) में उत्सर्ग कर्म वेद जो पढ़े हैं उनकी पुष्टिके लिये उत्सर्ग कर्म करे (१-७) ।
१५ विवाहप्रकरणवर्णनम्
१७२७
पृष्ठाङ्क
गोदान कर्म में जो सोलहवें वर्ष की अवस्था में उपनयन के अनन्तर होता है चौल कर्म की रीति पर हवन कर ब्रह्मचारी को वस्त्रभूषा धारण करने की विधि बताई है ( १-६ ) ।
१७२८
१७२६
विवाह का विधान (गृहस्थाश्रम ) कन्या के विवाह की रीति पद्धति का वर्णन । ब्रह्मचर्याश्रम से गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने की विधि । विवाह संस्कार कर बधू को वर अपने घर में लावे उस समय के आचार यज्ञादि का विधान (१-८० ) ।