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________________ [ २५ ] अध्याय प्रधानविषय पृष्ठाह २ सम्भूयसमुत्थानप्रकरणवर्णनम्- १२६७ कई आदमी मिलकर जो व्यापार करते हैं उनको उस व्यापार में लाभ और हानि बराबर उठानी पड़ेगी। या उन लोगों ने पहले जो प्रतिज्ञा कर ली हो ( २६२-२६८)। २ स्तेयप्रकरणवर्णनम्पत्रकरणवणनम् १२६८ चोर को पकड़ने वाले को पहले उसके पैरों के चिह्न से या पहले जो चोरो में पकड़े गये हों जुआरी वैश्यागामी तथा शराबी और बात में अटपट करे तो उनको पकड़ लेना चाहिये । चोरी में पूछने पर जो सफाई नहीं देवे उसे चोरी का दण्ड दिया जाता है। चोर को भिन्न भिन्न प्रकार से ताड़ना देकर चोरी पूछ लेनी चाहिये। इस प्रकरण में आया हैविषाग्निदां पतिगुरुनिजापत्यप्रमापिणीम् । विकर्णकरनासोष्ठी कृत्वा गोभिः प्रमापयेत् ॥ विष देनेवाली, अनि लगानेवाली, पति, गुरु और अपने बचों को मारनेवाली स्त्री के नाक कान काटकर जल में बहा देना चाहिये।
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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