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________________ [ १२ ] अध्याय प्रधानविषय १ दोनों को तराजू में तोलकर रक्खे एक से काम नहीं चलता (३४६-३५१)। राजा को मित्र बनाना सब से बड़ा लाभ है (३५२-३५३)। दण्ड का विधान-जो अपने स्थान से चलित हो उसको दण्ड देने का विधान । वाग दण्ड, धनदण्ड, वधदण्ड और धिक्दण्ड ये चार प्रकार के दण्ड हैं। अपराध देश काल को देखकर इन दण्डों को व्यवस्था करे (३५४-३६८)। . - व्यवहाराध्यायः तत्रादौ-सामान्यन्याय प्रकरणम्---- . १२६६ राजा को व्यवहार देखने की योग्यता और अपने साथ सभासदों का नियोग तथा उनकी योग्यता । व्यवहार की परिभाषास्मृत्याचार व्यपेतेन मार्गेणाधर्षितः परैः। आवेदयति चेद्राज्ञे व्यवहारपदं हि तत् ।। अर्थात् आचार और नियम विरुद्ध जो किसी को तंग करे उसपर राजा के पास जो आवेदन किया जाता है उसको व्यवहार कहते हैं (१-४) ।
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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