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________________ [ ४६ ] अध्याय प्रधानविषय पृष्ठाङ्क ८ हुए खाने का दोष गाय के दर्शन से मिट जाता है [३११]। जिनके छूने से सिर में जल स्पर्श करनेसे शुद्धि और जिनके स्पर्श करने से स्नान करना उनका अलग अलग विवरण आया है ( ३१२-३२२)। जिनका अन्न नहीं खाना चाहिये उनका वर्णन आया है (३२३-३२६)। नाई जो अपने यहाँ नौकर हो उसका अन्न लेने में दोष नहीं और तेल या घृत से बनी हुई चीज बासी होने पर भी दूषित नहीं होती है ( ३२७)। आपत्तिकाल में छूत का दोष नहीं होता है ( ३२८-३३०)। जो वस्तु म्लेच्छ के वर्तन में रहने पर भी अपवित्र नहीं होती, जैसे घी, तेल, कच्चा मांस, शहद, फल-फूल इत्यादि उनका वर्णन (३३१-३३५)। किस धातु के बर्तन की किससे शुद्धि होती है उसका वर्णन आया है। आत्मा की शुद्धि सत्य व्यवहार और सत्य भाषण से ही होगी प्रायश्चित्त आदि से नहीं। सड़क का कीचड़, नाव और रास्ते में घास इत्यादि ये वायु और नक्षत्रों से ही शुद्ध हो जाते हैं । यह प्रायश्चित्त को जानने की बात सबको समझनी चाहिये (३३६-३४२)। २-४
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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