SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ३८ ] अध्याय प्रधानविषय पृष्ठाङ्क जो ब्रापण सदाचारी दान लेने योग्य है और वह दान न लेवे तो उसे स्वर्ग का फल होता है (२३६२४०)। जो मांगने पर इकरार किया हुआ दान नहीं देता है वह अगले जन्म में दारु होता है (२४१)। दान देने के सम्बन्ध की बातों का विवरण है (२४२-२४८)। ६ त्याज्य वर्णनम् । ७७८ आत्रार का वर्णन और गृहस्थ के कर्तव्यों को कहा है। भोज्य अभोज्य की विधि बताई है (२४६२७६)। भोजन में जिनका निषेध किया उनका वर्णन आया है (२७७-२८२)! • जिनका अन्न खाना निषेध है उनका प्रकरण आया है। जैसेरेशम बेचनेवाला, विष बेचनेवाला, शाक बेचने वाला इत्यादि (२८३-२६२)। इष्टका यज्ञ जो कि द्विजातियों को करने चाहिये दर्श, पौर्णमास्य और चातुर्मास्य यज्ञों का विधान बताया है (२६३-२६६)। स्नातक की परिभाषा (२६७) । सोम याग और इष्टका पशु यज्ञ का माहात्म्य बताया है (२६८-३०३)। श्रद्धा से दान देने का माहात्म्य है (३०४-३०५)। जो जिसका अन्न खाता है
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy