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________________ [ २६ ] अन्याय प्रधानविषय पृष्ठाङ्क ४ गायत्री मन्त्र वर्णनम्। ७२० गायत्री मन्त्र के एक एक अक्षर का एक एक देवता और उसके स्वरूप का वर्णन किया गया है (७१-६७)। ४ गायत्री मन्त्र जप वर्णनम् ७२३ न्यास और गायत्री की उपासना और स्थूल, सूक्ष्म और कारण इन तीनों शरीरों को गायत्री से बन्धन करने का विधान है (६८-११०)। ४ देवार्चन विधिवर्णनम। ७२४ देवताओं का पूजन और उसके मन्त्र, जैसे विष्णु का गायत्री और ओंकार से पूजन इत्यादि (१११-१२३)। देवता के देह में न्यास जैसे कि मनुष्य अपनी देह में करता है (१२४-१३४ )। पुरुष सूक्त के पहले मन्त्र से आवाहन, दूसरे से आसन, तीसरे से पाद्य, चतुर्थ से अर्ध्य इत्यादि का वर्णन आया है ( १३५-१४१)। जो मनुष्य इस प्रकार विष्णु की पूजा करता है वह अन्त में विष्णु की देह में ही चला जाता है (१४२)। देवताओं का पूजन और उसकी विधि का वर्णन किया है (१४३.१५४)।
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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