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________________ [ ८ ] अध्याय प्रधान विषय पृष्ठा में शुद्ध हो जाता है। तृतीय अध्याय में जन्म और मरण के अशौच का विवरण दिया गया है। किन्तु जातक अशौच में ब्राह्मण १० दिन में शेष पूर्व लिखित है। बालक और संन्यासी के मरने पर तत्काल शुद्धि बताई है। १० दिन के बाद खबर पावे तो ३ दिन का सूतक, और सम्वत्सर के वाद खबर पावे तो नान करके शुद्धि हो जाती है ( १-१६)। गर्भ में मरने की और सद्यः मरने की तत्काल शुद्धि होती है (२६)। शिल्प काम करने वाले, राजमजदूर, नाई, वैद्य, नौकर, वेदपाठी और राजा इनको सद्यः शौच बतलाया है ( २७-२८ )। गर्भस्राव का सूतक बतलाया है ( ३३ )। विवाहोत्सव में मृतक सूतक हो जाय तो उसमें पूर्व दान किया हुआ दे ले सकता है ( ३४-३५ )। संग्राम वाले की मृत्यु का १ दिन का अशौच माना गया है और उसका माहात्म्य बतलाया है ( ३६-४३ ) । संग्राम में क्षत्रिय के देहपात का माहात्म्य (४४-४७। शूद्र के शव ले जाने वाले पर सूतक की अवधि ( समाप्ति)। ४ अनेकविधप्रकरण प्रायश्चित्तम् । ६३६ जो किसी को फांसी में लगावे उसका पाप और उसको
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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