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________________ अध्याय [ ५४ ] प्रधानविषय पृष्ठाङ्क ५४ यः पापात्मा येन सह युज्यते तत्प्रायश्चित्त । वर्णनम् ४८६ जो जिस पापी के साथ रहता है उसे भी वही प्रायश्चित्त बतलाया है। ५५ रहस्य प्रायश्चित्त विधान वर्णनम्- ४६२ रहस्य पापों का प्रायश्चित्त, प्रणव का जप, हविष्यांग और प्राणायामादि बतलाया है। ५६ वेदोद्धृतपवित्र मन्त्र वर्णनम्- ४६४ इसमें जप, होम, अघमर्षण, नारायणी सूक्त और पुरुषसूक्त इत्यादि का महात्म्य बतलाया गया है। ५७ अभोज्याप्रतिग्राह्ययोस्त्याज्य वर्णनम्- ४६४ इस में त्याज्य मनुष्यों का निर्देश, त्याज्य पुरुषों से दान लेने से ब्राह्मणों का तेज नष्ट हो जाता है। ५८ गृहस्थाश्रमिणस्त्रिविधोऽर्थोपार्जन वर्णनम्- ४६५ इसमें गृहस्थी के तीन प्रकार के अर्थ बतलाये हैं। शुल्क . सबल और असित, जो अपनी वृत्ति से धनोपार्जन करते हैं उन्हें शुल्क, दूसरों को ठगकर अपना व्यापार करते हैं उन्हें
SR No.032667
Book TitleSmruti Sandarbh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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