SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पृष्ठाङ्क [ ३० ] पूधानविषय अभ्युपेत्याशुश्रुषा पञ्चमं विवाद पदम् २८२ शुश्रूषक ५ प्रकार, काम करनेवाले ४ प्रकार (२)। कर्म के भेद- शुद्ध कर्म करनेवाला (५)। आचार्य की शुश्रूषा आदि (१३-२३। दास के प्रकार (२४-२६)। स्वामी के साथ उपकार करनेवाला दासत्व से छुटकारा पाता है (२८)। सन्यास से वापिस आने पर गृहस्थ में आने पर राजा का दास होकर छुटकारा नहीं है (३३)। बलात् दास बनाये हुए के छुटकारे का उपाय (३६)। वेतनस्यानपाकर्म षष्ठं विवाद पदम २८६ बकरी भेड़ पालनेवाले अनुचरों पर विवाद (१४-१८)। अनुचित सहवास का दण्ड (१६-२३) । अस्वामि विक्रयः सप्तमं विवादपदम् २८८ जिस धन पर अधिकार नहीं है उसके बेचने के विषय में, पृथ्वी में जो धन गड़ा है उसपर अधिकार (१)। अस्वामि विक्रय धन चोरी के धन के तुल्य है (२)। चोरी का धन लेने वाला दण्ड का भागी (५)। पृथ्वी पर पड़ा या गड़ा धन राजा का होता है (६)।
SR No.032667
Book TitleSmruti Sandarbh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy