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________________ महाराजा सम्प्रति के शिलालेख ७३ (१०) बौद्ध एवं अन्य धर्म-ग्रन्थ इस बात को प्रमाणित करते हैं कि सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल के छब्बीसवें वर्ष यवन बालिका से विवाह किया था । साथ ही इतिहास के पृष्ठों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि अलेकजेंडर दि ग्रेट के पश्चात् गद्दी पर बैठनेवाले उसके सरदार सेल्युकस निकोटर को ई० पू० ३०४३९ में मगधपति सम्राट अशोक के साथ सुलह करने के लिए वाध्य होना पड़ा था । उस सन्धि में दो मुख्य शर्ते ४१ ये थीं कि सेल्युकस सिन्धु नदी के उस पार पश्चिम के पाँच प्रान्त मगधपति को सौंप दे तथा अपनी राजकुमारी का मगधपति के साथ विवाह करे और इसके बदले मगधपति सेना के सामान से सजे हुए पाँच सौ हाथी सेल्युकस को दें । ० ये दोनों बातें सम्राट अशोक से ही सम्बन्धित हो सकती । सम्राट् चन्द्रगुप्त ( या सेंड्रे कोट्स ) से नहीं; क्योंकि अशोक वृत (२) मृषावाद विरमण वृत (३) श्रदत्तादान विरमण वृत ( ४ ) मैं थुन विरमण वृत ( ५ ) परिग्रह विरमण वृत । (३८) अ० हि० इं० स्मिथ कत तीसरी आवृत्ति पृष्ठ ११६, hot हिस्ट्री आफ इन्डिया पृष्ठ ४३१, ४७२ । (३१) टीका नं० ४ के अतिरिक्त प्र० हि० इं०, विंसेंट स्मिथकृतः पृष्ठ १६६-७ । (४०) टीका नं ० ४ के प्रमाण ही यहाँ लागू समझिए । ( ४१ ) विंसेंट स्मिथकृत अर्ली हिस्ट्री आफ इन्डिया की तीसरी श्रवृत्ति पृष्ठ ११६ । केम्ब्रिज हिस्ट्री आफ इन्डिया पृष्ठ ४३१ तथा ४७२ ।
SR No.032648
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages84
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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