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( ४४ ), २२-शिक्षा प्रचारार्थ उदारतया दान दिया गया । २३-पुरुषों ने महिला सभा में, और महिलाओं ने पुरुष सभा में
व्याख्यान दिये। २४-चालीस पदक की घोषणा । २५-स्याद्वाद विद्यालय में रह कर हिन्दु कालिज में शिक्षा प्राप्त
करने के लिये पारा निवासी बाबू देवकुमारची ने छात्रवृत्ति की
घोषणा की। २६-जैन महिलारन श्रीमती मगन बाई जी को महासभा की तरफ से
५०) का स्वर्णपदक। २७-स्त्री शिक्षा प्रचार के लिये निम्न उपायों की योजना की जाय ।
(क) स्थानीय कन्याशाला स्थापित की जावें । (ख) अध्यापिका नय्यार की बायें । (ग) परीक्षा कमेटी। (घ) प्रत्येक सदस्य अपनी पत्नी, बहन, बेटी को पढ़ावे । (च) पारितोषक और छात्रवृत्ति । (छ) पठनीय पुस्तक निर्माण ।
(ब) प्रौढ़ महिलाओं को उनके घरों पर शिक्षा दान । . (झ) महिला-शास्त्र सभा ।
() महिला कारीगरी की प्रदर्शिनी। (3) असमर्थ विधवाओं की सहायता ।
(ड) उपरोल्लिखित कार्यों के लिये कोष । २८-प्रत्येक जैन को अपनी श्रद्धानुसार देव-दर्शन, पूजन, शास्त्र-स्व ध्याय . सामायिक श्रादि अावश्यक धार्मिक कार्य अवश्य करने चाहिये।
१९०६ २६--श्रीयुत् सखीचन्दजी (दि. इन्सपेक्टर जेनरल पुलिस विहार ) ।
जीवदया प्रचारिणी सभा आगरा के सभापति, जीवदया विभाग के मत्री नियत किये गये।