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________________ ११३८ के वर्धा अधिवेशन के सभाध्यक्ष ... श्री० सेठ राजमल ललवानी Ex. M. L. A. (Central) जन्म १८००/१८०६ में जामनेर के सेठ लखमीचन्दजी की गोद आये । तेजस्वी वक्ता । केन्द्रीय एसेम्बली दिल्ली में हिन्दी भाषा में भाषण करने का प्रारम्भ किया। लोकप्रिय कांग्रेसी। तालुका कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष । श्रापकी पाषाण मूर्ति जलगाँव के टाउन हाल में स्थापित है। हजारों का वाषिक गुप्तदान करते हैं। साल में , मास दौरे पर रहते हैं। खेती की उन्नति, नई बस्ती बसाने का उत्साह है । सादा जीवन, विनम्र स्वभाव है। १९२८ वरुड अमरावती अधिवेशन के सभाध्यक्ष श्रीयुत् भैय्यालाल जैन, वैतुल निवासी जन्म १८६६, जिला वैतूल | मैट्रीकुलेशन परीक्षा १६१७ । म्युनिसिपल सेक्रेटरी वर्धा, १६५५ । स्थानीय जैन बोडिंग के अवैतनिक सुपरिन्टेंडेंट तथा मन्त्री। १९४० यवतमाल अधिवेशन के सभाध्यक्ष श्रीयुत् ऋषभ साव काले ( R. P. Kale ) मध्यप्रान्त में सर्वप्रथम अपना विवाह अन्तरजातीय महिला से किया। १९४६ के इटारसी अधिवेशन के सभाध्यक्ष श्रीयुत् साहु श्रेयांस प्रसाद जी बम्बई .: प्रसिद्ध कार्यकर्ता, । अनेक मिलों के, हवाई जहाज कम्पनी के बड़े हिस्सेदार, तथा प्रबन्धकर्ता। उदार दानी।
SR No.032645
Book TitleBharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjit Prasad
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1947
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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