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________________ ( ५ ) ४. कई कहते हैं कि शास्त्रार्थ चैत्यवासियों के साथ हुआ । + ५. कई कहते हैं कि शास्त्रार्थ ८४ मट्ठपतियों के साथ हुआ। 1 ४ - जिनेश्वरसूरि का शास्त्रार्थ किस विषय का था। १. कई खरतर कहते हैं कि शास्त्रार्थ कांसी पात्र का था २. कई कहते हैं कि शास्त्रार्थ लिंग विषय का था । ३. कहते हैं कि शास्त्रार्थ चैत्यवास वसतिवास का था । + ४ - कई खरतर कहते हैं कि शास्त्रार्थ साध्वाचार का था ५ - जिनेश्वरसूरि के शास्त्रार्थ का समय १. केई खरतर जिनेश्वरसूरि के शास्त्रार्थ का समय वि०सं० १०२४ का बतलाते हैं २ कई खरतर शास्त्रार्थ का समय वि० सं० १०८० का बतलाते हैं + तथा चैस्यवासिनो हि पराजया X X चैत्यवासिभिः सह विवादे " ख० प० पृष्ठ २२” विरुदः $ संवत् १०८० दुर्लभराजसभायां ८४ महपत ेन जित्वा प्राप्त खरतर 'ख० प० पृष्ठ १०' * खरतर हुनि मगनसागर अपने सिद्धान्त मगनसागर पृष्ट ९४ पर लिखते हैं कि जिनेश्वरसूरि का शास्त्रार्थ कांसी पात्र का था - दुर्लभ राजसभायां लिगिविवादे चैत्यवासिभिः सहविवादे श्रीजिनेश्वर सूरिणा जिल्ला 'ख० प० प्र० प० पष्ठ २७२' દ + सूराचार्यैः वसतिवास प्रतिषेधकं जिनगृहवास समर्थकं स्वकपौल कल्पित शास्त्रप्रमाणां दर्शितम् + वर्सातवास प्रदर्शकं जिनगृह निवास निषेधकं च अनेक प्रमाण संदर्भ दर्शयित्वा - 'षटस्थानक प्रकरण प्रस्तावना पृष्ठ २
SR No.032637
Book TitleKhartar Matotpatti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1939
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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