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________________ धर्म-अधर्म सत्य -असत्य जय-पराजय खरा - खोटा ( २७ ) कठोर — कोमल करड़ा—कँवला दया — निर्दयी सुख- - दुःख दिन-रात मीठा लोक dari -खारा - अलोक ― भला-बुरा अब जरा सोचना चाहिये कि 'खरा का प्रतिपक्षी शब्द' खोटा होना चाहिये या कँवला ? : खोटाका अर्थ होता है झूठा (असत्य) और कँवला का अर्थ होता है नरम ( कोमल ) । जब कँवला का अर्थ कोमल है तो उसका प्रतिपक्षी "करड़ा" शब्द जिसका अथ कठोर होता है, यह उपयुक्त है। हाँ ! लौकिक में 'खरतर ' शब्द जरूर विशेष कठोरता का द्योतक हो सकता है परन्तु 'खरा' शब्द नहीं, जब खरा शब्द से यहाँ कठोरता अर्थ न ले और सच्चा यह अर्थ लिया जाय तो यौगिक शब्द 'खरतर' में भी 'खरातर' ऐसा होना चाहिए और उसका प्रतिपक्षी 'खोटा' याने "खोटातर" ही होना चाहिए, पर 'कँवला' नहीं । खर का असली अर्थ उम्र याने तेज, तीक्ष्ण, कठोर है न कि सत्य ( सच्चा) । यदि इसका अर्थ थोड़ी देर के लिए कठोर भी मान लें तो फिर आपका मनगढन्त आशाद्रुम अकाल ही में उखड़ जाता है क्योंकि इससे तो लौकिक में यही प्रसिद्ध होगा कि " खरतर " अर्थात् तेज प्रकृति, आशान्तस्वभाव वाला और कँवला कोमल प्रकृति, शान्तस्वभाव वाला। वास्तव में यही अर्थ ले के इन दोनों शब्दों का निर्माण हुआ है जिसे हम आगे चलकर बतला देंगे । पहिले एक सन्दिग्ध सवाल फिर उठता है और वह है कि इस ग्रामीण शब्दके साथ अतिशय अर्थके ज्ञापक तरप् प्रत्यय का संयोग करना, विशेष आश्चर्य तो इस बात
SR No.032637
Book TitleKhartar Matotpatti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1939
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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