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________________ ( ३१ ) ( कवाड़) | सराफ . (गोलिया) । मादरेचा लुंकड़ .. (गोविया) लोलेचा खटोल . मिन्नी _ ओस्तवाल भाला विनायकिया आँचलिया गोठी . आदि इनके अलावा भी तपागच्छोपासक कई जातियाँ हैं। जिनके नाम, उत्पत्ति तथा खुर्शीनामा आदि तपागच्छीय श्री पूज्य व महामाओं के पास से मिल सकते हैं। (५) प्राञ्चल गच्छ-इस गच्छ में भी कई प्रभाविक आचार्य हुए हैं । जैसे:-जयसिंहमूरि, धर्मघोषसूरि, महेन्द्रसूरि, सिंहप्रभसरि, अजितदेवसरि आदि। जिन्होंने भी कई अजैनों को जैन बनाने में सहयोग दिया था। इस गच्छ के उपासक जैन जातियों के नाम इस प्रकार हैं। गाल्हा । कटारिया । वडेरा । सोनीगरा आथ गोत (कोटेचा) गान्धी कंटिया बुहड़ (रत्नपुरा) देवानन्दा हरिया सुभद्रा नागड़ गोत्ता गोतम गोता | देडिया बोहरा भिटड़िया डोसी बोरेचा सियाल घ र बेला । शेष । अज्ञात इन जातियों का संक्षिप्त इतिहास "जैन गोत्र संग्रह" नामक पुस्तक में है। (६) मलधार गच्छ-इस गच्छ में पूर्णचन्द्रसूरि, देवानन्दसूरि, नारचन्द्रसूरि, तिलकसूरि आदि महान् प्रभाविक आचार्य हुए हैं:-जिन्होंने निम्न लिखित गोत्र बारचा
SR No.032625
Book TitleJain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1938
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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