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________________ १०८ उपकेशानंसे भोरेगोत्रे १०२५| उए ज्ञा० कोठारीगोत्रे ३२९| उकेशश्वसे बरडागोत्रे उ० ज्ञा० गुदेचा गोत्रे उपकेशज्ञातौ वृद्धसजनिया ११०७ उपकेशज्ञाति डांगरेचागोत्रे ४०० उपकेशगच्छे तातेहडगोत्रे १२१० उ० सीसोदिया गोत्रे उपकेशनसे नाहटागोत्रे १२५५ उपकेशज्ञातिसाधुसाखायां ४८० उकेशनसे जांगडा गोत्रे १२५६ उपके ज्ञातौ श्रेष्टिगोत्रे ४८८ उकेश से श्रेष्ठिगोत्रे १२७६ उ.ज्ञा.श्रेष्टिगोत्रेद्यसाखायां १२०८ | उकेश ज्ञा० गहलाडा गोत्रे १३८४ उ०वंसे भूरिगोत्रे (भटेवरा) १२८० | उपकेशज्ञातौ दूगडगोत्रे उपकेशज्ञातौ बोडियागोत्रे उएसनसे चंडालियागोत्रे उ० ज्ञा० फुलपगर गोत्रे १२८७ उपकेशनसे कटारियागोत्रे १३८९ उपकेश ज्ञाति-बापणागोत्रे उपकेशज्ञातियआर्य'गोवेलुणा १४१३ उकेशनंसे भणशलीगोत्रे वत साखायां १४३५ उएसगंसे सुचिन्ती गोत्रे उकेशगंसे सुराणागोत्रे १४९४ उपकेश सुचंति १३३४ | उपकेशवंसे मालगोत्रे उ.ज्ञातौ बलहागोत्र रांकासा १३३५) उपकेशनसे दोसांगोत्रे १६२१ उरकेशज्ञातौ सोनी गोत्रे ३५३ १३८६, उ० ज्ञा० १२८५ १२९२ इत्यादि सैकडों नहीं पर हजारों शिलालेख मिल सकते हैं पर यहां . पर तो यह नमूना मात्र बतलाया है। इन मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठा करने वाले किसी एक गच्छ के ही नहीं पर भिन्न भिन्न गच्छों के आचार्य थे । और इन जैन जातियों के प्रतिबोधक भी एक ही आचार्य नहीं थे । परन्तु उन सबके सब आचार्यों ने ओसवाल जाति के तमाम गोत्र और जातियों के साथ उपकेशवंश का उल्लेख कर यह साबित कर दिया है कि उपकेश
SR No.032625
Book TitleJain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1938
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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