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________________ बिक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी के आस पास में हुआ है और तभी से उपकेशपुर को ओसियां कहने लगे हैं । फिर भी संस्कृत साहित्य के लेखकों ने इस नगर का नाम उपकेशपुर ही लिखा है । २-जिनको आज हम ओसवाल कहते हैं उनका मूल नाम उपकेशवंश है । जब से उपकेशपुर का अपभ्रंश अोसियां हुआ तब से उपकेशवंश का अपभ्रंश भी ओसवाल होगया । फिर भी शिला लेखों वगैरह में इस वंश का नाम उपकेशवंश ही लिखा हुआ मिलता है। यदि किसी को केवल ओसवाल नाम का ही इतिहास देखना है तो विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी के पूर्व का इतिहास नहीं मिलेगा क्योंकि जब इस ज्ञाति का नाम संस्कार ही नहीं हुआ तो इतिहास खोजना व्यर्थ ही है । पर इससे यह कदापि नहीं कहा जा सकता कि ओसवाल जाति का इतिहास विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी के पूर्व का न मिलने से ओसवाल जाति उसो समय पैदा हुई हों। क्योंकि ग्यारहवीं शताब्दी पूर्व इस ज्ञाति का नाम उपकेशवंश था । अतएव ग्यारहवीं शताब्दी पूर्व का इतिहास उपकेशवंश के नाम से ही मिलेगा। इस जाति कि उत्पति के समय तो इसका “उपकेशवंश" नाम भी नहीं था, तब तो इसका नाम “महाजन वंश"था और लगभग चार पांच शताब्दियों के बाद "उपकेशवंश" के लोग अन्य स्थानों में जा बसने के कारण उस “महाजन वंश" का नाम फिर “उपकेशवंश" हुआ है । अतएव(a) "महाजन वंश" इसकी उत्पत्ति वीरात् ७० अर्थात् विक्रम पूर्व ४०० वर्ष में हुई थी।
SR No.032625
Book TitleJain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1938
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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