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________________ ( ८८ ) में वर्धमानसरि ने देहली के सोनीगरा चौहान राजा का पुत्र वोहिथ के सांप का विष उतार जैन बनाया संचेती गौत्र स्थापित किया। ___कसौटी-अब्बल तो देहली पर उस समय चौहानों का राज ही नहीं था दूसरा चौहानों में उस समय सोनीगरा शाखा भी नहीं थी इतिहास कहता है कि नाडोल का राव कीर्तिपाल वि० सं० १२३६ में जालौर का राज अपने अधिकार में कर वडा की सोनागरी पहाड़ी पर किल्ला बनाना आरम्भ किया उसके पिके उत्तराधिकारी, संग्रामसिंह ने उस किल्ला को पूरा नाथा जल से जालोर के चौहान सौनीगरा कहलाया जब प्रौद्धनों में सोभीगरा शाखा र १२३६ के बाद में पैदा हुई तो में देहली पर सोनीगमों का राज लिख मारना यह बिलकुल मिथ्या गण नहीं तो और क्या है। के अलावा भी खरतेने में जितनी जातियों को खरतर होना लिखा है वह सब के सब कल्पित गप्पें लिख कर विचारे भद्रिक लोगों को बहाभारी मोखा दिया है। इसके लिये 'जैन जाति निर्णय' देखना चाहिये। __प्यारे खरतरों । न तो पूर्वोक्त जातियों एवं ओसवालों के लाटाओं के गाढ़े तुम्हारे वहाँ उतरेगा और न किसी दूसरों के वहाँ। जिस २ जातियों के जैसे-जैसे संस्कार जम गये हैं वह उसी प्रकार बरत रही हैं कई लिखे पढ़े लोग निर्णय कर असत्य का त्याग कर सत्य स्वीकार कर रहे हैं। इस हालत में इस प्रकार गप्पें लिखकर प्राचीन इतिहास का खून करने में तुमको क्या लाभ है स्मरण में रहे अब अन्ध विश्वास का जमाना नहीं रहा है । यदि तुम्हारे अन्दर थोड़ा भी सत्यता का अंश हो तो मैंने जो नमूनाके
SR No.032625
Book TitleJain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1938
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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