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________________ विश् या विद्या शाजापुर - म प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर (मध्य प्रदेश ) पालि और प्राकृत ऐसी भाषा रही हैं, जो आज उपेक्षित हैं। पालि और प्राकृत का साहित्य मानवीय मूल्यों से भरा हुआ है। ISBS द्वारा उन्हें प्रकाश में लाने का प्रयास सतत चलता रहता है। साथ ही अन्य दर्शनों के साथ एक समन्वय भी स्थापित होता है । पालि में बौद्धों का पूरा त्रिपिटक साहित्य है, जबकि प्राकृत में जैन आगम के ग्रन्थ और जैन आचार्यों द्वारा 19 वीं सदी तक रचित साहित्य समाहित है । आज इन ग्रन्थों का अध्ययन एवं इनमें निहित मानवीय मूल्यों का अध्ययन अपेक्षित है। बौद्ध ग्रन्थ में जो विभज्यवाद की अवधारणा है, वह अनेकान्तवाद एवं धार्मिक सहिष्णुता का आधार है। पालि और प्राकृत भाषा में लिखित एवं जैन बौद्ध ग्रन्थों का उनमें लिखित व्याहारिक मूल्यों का अध्ययन आवश्यक और अपेक्षित है। अतः ऐसे विषयों पर संगोष्ठी आयोजित होना अति आवश्यक है । ISBS के अध्यक्ष श्रीमान् सत्य प्रकाश शर्मा एवं समस्त समिति के लिए मंगल कामना करता हूँ एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ कि जैन दर्शन व बौद्ध दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन की दृष्टि से प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म०प्र०) में संगोष्ठी रखने का मेरा निवेदन स्वीकार किया। (प्रो० सागरमल जैन )
SR No.032621
Book TitleIndian Society for Buddhist Studies
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachya Vidyapeeth
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2019
Total Pages110
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size7 MB
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