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________________ (12) महापरिनिर्वाण सुत्त के अनुसार भगवान बुद्ध की मृत्यु की पश्चात उनके अवशेष (धातु) को द्रोण नामक ब्राह्मण द्वारा आठ हिस्सों में विभाजित करवाया गया, जिसे स्तूपों का निर्माण करवाके उसमे संग्रहीत किया गया था, परन्तु 200 वर्ष पश्चात तीसरी शताब्दी में जब अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी बना तब उसने उन अवशेषों को निकलवा कर उन्हें 84,000 भागों में विभाजित कर विभिन्न देशों में नए स्तूपों का निर्माण करवाया, साँची स्तूप इसका उत्तम उदाहरण है । भारत मे दो प्रकार के पैगोडा वर्णन प्राप्त होता है, प्रथम वह जिसमे अवशेषों को संग्रहित किया जाता है, दूसरा वह जिसे मंदिर के रूप में स्थापित किया गया है। शायद स्तूप से प्रभावित हो कर आरनिको जो कि नेपाल का एक मशूहर शिल्पकार था जिन्होंने काठमांडू की घाटी में पैगोडा का निर्माण किया। उनकी शिल्पकला से प्रभावित होकर चीन में पैगोडा बनाने के लिए बुलवाया। चीनी पैगोडा की शिल्पकला चीन के मीनार तथा चीन के गुम्बददार इमारत का. मिश्रण है। चीन तथा उसके आस-पास के देशों में बौद्धधर्म के विस्तार का कारण के वल उसके सिद्धान्त ही नहीं बल्कि उसकी शिल्प कला और पैगोडा भी है। ***** रायपसेणीय सुत्तं व पायासि सुत्तं एक तुलनात्मक अध्ययन सागरमल जैन, शाजापुर प्राकृत व पालि में न केवल शब्दों की एक रूपता है, अपितु दोनों में व्याकरणगत और विषयगत भी समरूपता मिलती है। प्राकृत का एक ग्रंथ रायपसेणी पालि में पायासि सुत्तं के नाम से यथावत् आंशिक समरूपता के साथ मिलता है। प्रसेनिय सूत्र की जो विषय वस्तु है, वह राजप्रसनिय से यथावत् मिलती
SR No.032621
Book TitleIndian Society for Buddhist Studies
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachya Vidyapeeth
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2019
Total Pages110
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size7 MB
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