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________________ (5) प्रारम्भ होता है जबकि विजयसिंह बौद्ध नहीं थे । वैवाहिक संबंधों में भी हमें कलचुरियों की धार्मिक सहिष्णुता के प्रमाण प्राप्त होते हैं । कलचुरि नरेश कर्ण ने अपनी पुत्री यौवनश्री का विवाह बंगाल के शासक विग्रहपाल से कर दिया था जो बौद्ध धर्म का अनुयायी था । उपरोक्त पुरातात्विक एवं अभिलेखीय साक्ष्य, इस तथ्य को अभिप्रमाणित करते हैं कि कलचुरिकाल में बौद्ध धर्म को पर्याप्त राजकीय संरक्षण प्राप्त था। ***** जातक अट्ठकथा में वर्णित स्त्रियों की स्थिति का समीक्षात्मक अध्ययन अरुण कुमार यादव, नालंदा प्राचीन काल से लेकर वर्तमान काल तक स्त्रियों की स्थिति का वर्णन, उस `स्थिति की प्रशंसा एवं आलोचना तथा उनके सशक्तिकरण की बात वर्तमान अकादमिक परिचर्चा के केंद्र में रहता है । जब हम भारत में स्त्रियों के स्थिति ऊपर ध्यान देते हैं तो हमें दो प्रकार की धारणायें प्राप्त होती हैं, एक धारणा स्त्रियों के स्थिति को महिमामंडित करती है वहीं दूसरी भर्त्सना करती है। वस्तुतः जब हम इस विषय पर अध्ययन करते हैं तो एक लंबे काल खण्ड को केंद्र में रख कर उस पूरे कालखण्ड को उस विषय के लिए सामान्यीकृत कर देते हैं, जिससे कभी-कभी स्थितियाँ पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं हो पाती हैं । प्रस्तुत शोध-पत्र के माध्यम से इस विषय का विवेचन किया जाएगा कि जातक अट्ठकथाओं में स्त्रियों कि स्थिति क्या था ? वस्तुतः जातक अट्ठकथा को आचार्य बुद्धघोष द्वारा रचित माना जाता है जिनका काल ईसा की पाँचवी शताब्दी के आस-पास का माना जाता है, यद्यपि सिंघली परम्परा इसे महिन्द थेर से भी जोड़ती है जिनका काल तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व है।इस शोधपत्र के माध्यम से इस तथ्य पर प्रकाश डालने की कोशिश होगी कि उस कालखण्ड के इस ग्रंथ में किस प्रकार स्त्रियों को नकारात्मक या सकारात्मक रूप से चित्रित किया गया है जिससे कि उनके स्थिति पर पूर्ण प्रकाश पड़ सकता है। *****
SR No.032621
Book TitleIndian Society for Buddhist Studies
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachya Vidyapeeth
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2019
Total Pages110
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size7 MB
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