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________________ अग्नि संस्कार शोक सभा, शंखेश्वर, वि.सं. २०५८ १४-७-२०००, शुक्रवार आषाढ़ शुक्ला-१३ : पालीताणा (साध्वी परमकृपाश्रीजी, नम्रनिधिश्रीजी, जिनांजनाश्रीजी, परम करुणाश्रीजी, नम्रगिराश्रीजी, जिनांकिताश्रीजी की बड़ी दीक्षा के प्रसंग पर ।) पूज्य गणिश्री मुनिचन्द्रविजयजी - नवकार का शास्त्रीय नाम पंचमंगल महाश्रुतस्कंध, लोगस्स का नामस्तव, नमुत्थुणं का शक्रस्तव, पुक्खरवरदी का श्रुतस्तव नाम है। उस प्रकार बड़ी दीक्षा का शास्त्रीय नाम छेदोपस्थापना हैं । छेद + उपस्थापना = छेदोपस्थापना । पूर्व पर्याय का छेद करके चारित्र की स्थापना करना छेदोपस्थापना है। हमारा दीक्षा-पर्याय बड़ी दीक्षा से गिना जाता पूज्य आचार्य भगवन्त की दीक्षा वि. संवत् २०१० की वैशाख शुक्ला-१० को हुई थी । बड़ी दीक्षा वि. संवत् २०११ की वैशाख शुक्ला-७ को हुई थी । बड़ी दीक्षा में लगभग एक वर्ष व्यतीत हो गया; इतने समय में मान लो कि किसीने दीक्षा ली हो, और बड़ी दीक्षा पहले हो गई हो वे बड़े गिने जायेंगे । कहे कलापूर्णसूरि - २wwwwwwwwwwwwwwwwww ५१९)
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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