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________________ कहे कलापूर्णसूरि-2 (अध्यात्मयोगी पू. आचार्यश्री की साधनापूत वायू (दि. २०-१-२०००, गुरुवार से दि. १८-७-२०००, मलिधार वाचना पूज्य आचार्यश्री विजयकलापूर्णसूरीश्वरजी म.सा. आलंबन पूज्यश्री के गुरुमंदिर की प्रतिष्ठा वि.सं. २०६२, फाल्गुन वद ६, दि. १९-०२-२००६, रविवार, शंखेश्वर महातीर्थ - प्रेरणा - पूज्य आचार्यश्री विजयकलाप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पू.पं.श्री कल्पतरुविजयजी गणिवर अवतरण - सम्पादन पंन्यास मुक्तिचन्द्रविजय गणि पंन्यास मुनिचन्द्रविजय गणि हिन्दी-अनुवाद श्रीयुत नैनमलजी सुराणा (एम.ए., बी.एड., साहित्यरत्न) - प्रकाशक - श्री कलापूर्णसूरि साधना स्मारक ट्रस्ट आगम मंदिर के पीछे, पो. शंखेश्वर, जि. पाटण (उ.गु.), पीन : ३८४ २४६. श्री शान्ति जिन आराधक मंडल P.0. मनफरा (शान्तिनिकेतन), ता. भचाऊ, जी. कच्छ, Pin : 370 140.
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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