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________________ लाभ के मद से सुभूम । कुल के मद से मरीचि । ऐश्वर्य के मद से दशार्णभद्र । बल के मद से विश्वभूति । रूप के मद से सनत्कुमार । • तप के मद से कूरगड्ड । • श्रुत के मद से स्थूलभद्र को क्लेश हुआ । इस प्रकार उस सज्झाय में बताया गया है । . हम इतने 'नम्र' हैं कि मानो कोई भी मद अडचन करता ही नहीं । गुणों का मद नहीं किया जाता, उस प्रकार दोषों का भी मद नहीं किया जाता । जिस दोष का मद करो वह दोष पक्का हो जाता है और जिन गुणों का मद करो वे आपके पास से चले जाते हैं । यह नियम सतत याद रखे । पुस्तक-प्रेम ___अब्राहम लिंकन, बर्नार्ड शो, टागोर आदि स्कूल में अधिक पढ़े नहीं थे । डार्विन, विलियम स्कोट, न्यूटन, एडीसन, आइन्स्टाइन आदि स्कूल में भोट विद्यार्थी थे । नेपोलियन ४२वे नम्बर पर था, परन्तु इन सबने पुस्तकों के अध्ययन से अद्भुत योग्यता प्राप्त की थी। नेपोलियन एवं सिकन्दर जैसे तो युद्ध के समय भी पुस्तकें पढ़ते थे । अमेरिका के भूतपूर्व प्रमुख रूजवेल्ट मुलाकात के समय भी समय मिलने पर पुस्तक पढ़ना छोड़ते नहीं थे । एक मुलाकाती जाता और दूसरा आये तब तक के बिल्कुल अल्प समय का भी वे इस प्रकार सदुपयोग कर लेते थे । |३१४00amommonaamonommon कहे कलापूर्णसूरि-२]
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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