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________________ वढवाण, वि.सं. २०४७ २१-५-२०००, रविवार ज्ये. कृष्णा-३ : हस्तगिरि तीनों काल के स्वरूप के ज्ञाता भगवान ने सबका कल्याण हो वैसा मार्ग बताया हैं। उसके लिए योग्यता होनी चाहिये, परन्तु कहूं...? यह योग्यता भी प्रभु ही देते हैं । . प्रभु पर प्रेम कब प्रकट हुआ कहा जायेगा ? जब उनके वचन, उनका नाम, उनकी प्रतिमा देखते ही हृदय नाच उठे तब । प्रभु का नाम स्मरण करके भव्य आत्मा आनन्द प्राप्त करते हैं । अपने हृदय में आनन्द उत्पन्न हुआ यह सत्य है, परन्तु वह आनन्द दिया किस ने ? भगवान ने दिया । पानी में प्यास बुझाने की शक्ति है । पानी के बजाय पैट्रोल पियो तो क्या प्यास बुझेगी? थोर का दूध पियो तो क्या प्यास बुझेगी ? प्यास बुझी उसमें आप ही कारण नहीं है, पानी भी कारण है, क्या आपको यह लगता है ? क्या आपको लगता है कि हमारे आनन्द के परम कारण भगवान हैं ? . भगवान नाम आदि चारों से समस्त कालो में, समस्त क्षेत्रों में सम्पूर्ण जगत् को पावन कर रहे हैं । अमुक क्षेत्र में ही नहीं, सर्वत्र पावन कर रहे हैं । अमुक समय में ही नहीं, (भगवान (२८६ &00000 6 GS 6 GS CG EGG BOSS GOOG कहे कलापूर्णसूरि - २)
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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