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________________ व ंति कप्पंति से दो वि पडिगाहित्तए, तत्थ से पुव्वागमणेणं दो विपच्छा उत्ताइं नो से कप्पंति दो वि पडिग्गाहित्तए, जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते से कप पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पच्छाउत्ते से atus डिग्गाहि ॥ २५७ ॥ वासावासं पज्जोसवि० निम्गंथस्स गाहावइकुलं विडवायपडिया अणुपविटुस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए निवएज्जा कप्पर से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसिवा उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ पुव्वगहिएणं भत्तपाणेणं वेलं उवाइणावित्तए, कप्पड़ से पुव्वामेव वियडगं भोच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय सं २ पमज्जिय २ एगायगं भंडगं कडे जाव सेसे सूरिए जेणेव उवस्सए तेणेव उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ तं स्यणि तत्थेव उवायणावित्तए ॥ २५८ ॥ ७५ वासावासं पज्जोसवि० निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपsि - या अणुपविट्टस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए निवइज्जा कप्पर से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा जाव उवागच्छित्तए, तत्थ नो कप्पर एगस्स य निग्गंथस्स एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिट्टित्तए, तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्ग्गंथस्स दोन्ह य निग्गंधीणं एगयओ चिट्ठित्त, तत्थ at nous rate fairस दोह य निमगंथीणं एगयओ चिट्टित्तए, तत्थ नो कम्पs दोह य निगगंथाणं एगाए य निग्गंथीए एगयओ चित्तिए, तत्थ नो कम्पs दोह य निग्गंथाणं दोण्ह य निग्गंथीणं एगयओ चिट्ठित्त, अस्थि या इत्थ केइ पंचमए खुड्डए वा खुड्डिया वा अन्ने वा संलोए सपडदुवारे एवहं कप्पर एगयओ चिट्ठित्तए ॥ २५९॥ सावासं पज्जोसवि० निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुष्प वा १ कट्टु जेणेव क - विना ॥
SR No.032597
Book TitlePavitra Kalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Bechardas Jivraj Doshi, Sarabhai Manilal Nawab
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1952
Total Pages458
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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